नई दिल्ली। चौथ का व्रत (Fast) कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि पर महिलाओं (Womens) द्वारा रखा जाता है। वहीं इस साल 1 नवंबर पर करवा चौथ के दिन कई अद्भत संयोग बन रहे है। बुधादित्य योग, मृगशिरा नक्षत्र, शिव-परिघ के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में सुहागिन महिलाएं व्रत का संकल्प लेंगी और शिव-पार्वती और भगवान श्री गणेश की आराधना भी होगी। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ राशि में विराजमान रहने वाले हैं। सालों बाद अद्भुत संयोग के कारण करवा चौथ का व्रत इस साल सुहागिनों के लिए विशेष फलदायक माना जा रहा है।
एक नवंबर को है करवा चौथ
इस साल करवा चौथ बुधवार यानि एक नवंबर को पड़ रहा है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है। शास्त्रों में चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र के साथ शिव-परिघ व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। सायंकाल 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक करवा चौथ पूजा के लिए शुभ माना जा रहा है। इसके बाद सुहागिनें मृगशिरा नक्षत्र में चंद्रमा को अध्र्य देकर व्रत का पारण करेगीं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा अपनी उच्चराशि वृषभ में विराजमान रहेगें। मान्यता है कि करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पति की आयु लंबी होती है।
शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग के शुभ संयोग में करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। सुबह 6:32 से सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी, जो अगले दिन सुबह 4:34 तक रहेगा। वहीं, 2 बजकर 05 मिनट तक दोपहर के समय परिघ योग रहेगा, जिसके बाद से शिव योग की शुरुआत हो जाएगी। शिव योग अगले दिन तक रहने वाला है।
जानिए करवा चौथ पूजा मुहूर्त
इस तरह से करें व्रत की शुरुआत
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सुबह की सरगी खाकर किया जाता है। इसलिए अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी का सेवन करें। मान्यता है की सरगी का सेवन दिन की शुरुआत होने से पहले यानि सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए। वहीं, सांस द्वारा बहु को सरगी देने की परंपरा है। सरगी में 7 चीजों का सेवन करने का महत्व माना गया है।
चांद निकलने के बाद पूरा होता है व्रत
करवा चौथ व्रत में संध्या पूजन करने का विशेष महत्व है। इस दिन चांद निकालने के बाद पूजा और व्रत कथा का पाठ कर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। फिर छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने के उपरांत पति का चेहरा देखा जाता है। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
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