नागदा। स्थापना से अब तक के 75 वर्ष के इस सफर में ग्रेसिम ने विश्व पटल पर फायबर बिजनेस को नया आयाम देकर निश्चित ही परचम लहराया हैं। सभी सहकर्मी और उनके परिजन बधाई के पात्र हैं। ग्रेसिम नागदा के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आदित्य बिड़ला समूह द्वारा आयोजित तीन दिवसीय समारोह के समापन अवसर पर ग्रेसिम के सम्मान समारोह में यह बात रुपहले पर्दे पर अपने संदेश के माध्यम से समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कही। समापन अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल डॉ. थावरचंद गेहलोत ने सन 1965 से 1970 तक ग्रेसिम में अपनी पहली नौकरी से लेकर केंद्रीय मंत्री एवं राज्यपाल बनने तक के अनुभवों को साझा किया। 10 दिसंबर को मुम्बई के भव्य समारोह में चेयरमैन के हाथों सम्मानित होकर लौटे समारोह में पल्प और फाइबर बिजनेस के समूह डायरेक्टर एवं वरिष्ठ सलाहकार शैलेन्द्र कुमार जैन एवं वर्तमान में ग्रेसिम नागदा के वरिष्ठ अध्यक्ष एवं इकाई प्रमुख के सुरेश ने भी उपस्थित गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी की सहभागिता से ही यह विकास यात्रा इस विशिष्ट मुकाम पर पहुंच पाई है।
कार्यक्रम में संस्थान के उपाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि ग्रेसिम की विकास गाथा में सभी का सहयोग ही इस समारोह की सफलता का राज है। कार्यक्रम में संस्थान के पूर्व अधिकारी टी. एम. सोनार, बी. एस. साहनी, के. पी. सिनोय, डॉ. मदन सोडानी, डॉ. महेंद्र नाहर, मनोज मूंदड़ा, विजय जैन, आदित्य श्रीवास्तव, एस.एस. पिपाड़ा, एस. एम. सिसौदिया ने भी अपने पुराने अनुभव सभी के साथ साझा किए। कार्यक्रम में पूर्व विधायक लालसिंह राणावत, दिलीप सिंह शेखावत, जितेंद्र गेहलोत, कर्मकार मण्डल के पूर्व अध्यक्ष सुल्तानसिंह शेखावत, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बाबूलाल गुर्जर, केमिकल डिवीजन इकाई प्रमुख प्रेम तिवारी, लैंक्सेस इकाई प्रमुख संजय सिंह, संस्थान के संयुक्त अध्यक्ष योगेन्द्र सिंह रघुवंशी, उपाध्यक्ष आशीष माहेश्वरी, अमित चांद, बिस्वदीप मैती, अमित गंगवाल, शिक्षाविद दीपक कुमार शर्मा, अजंता हंस अरोरा, योगेश पालीवाल, सुनील सिंह, अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी, नगर पुलिस अधीक्षक मनोज रत्नाकर, समाजसेवी प्यारे लाल पोरवाल, पंकज मारू, रवि कांठेड़ , संस्थान के पूर्व वरिष्ठ जनसंपर्क अजेय सिंह, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास , सहायक उपाध्यक्ष विनोद कुमार मिश्रा सहित बड़ी संख्या मे उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरेन्द्र मीणा, अरुण सीठा एवं दीप्ति रघुवंशी ने संयुक्त रूप से किया।