उज्जैन/ नागदा । जिले के नागदा में संचालित ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन पर प्रदूषण रोकने के लिए निर्माणाधीन एक प्रोजेक्ट का कार्य समय सीमा में पूरा नहीं करने पर करोड़ों की जमा बैंक गारंटी जब्त चेतावनी मिली है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योग द्वारा चंबल नदी में छोड़े जा रहे कथित रसायन युक्त पानी की मात्रा को शून्य करने के लिए निर्माणाधीन जेएलडी प्लांट का कार्य 31 जनवरी 2021 तक पूरा नहीं करने पर ग्रेसिम की बैंक में जमा 15 करोड़ गारंटी राशि जब्त करने की सूचना का मामला सामने आया है। बोर्ड की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई समीक्षा बैठक के बाद इस कार्यवाही विवरण सामने आया है। इस निर्देश के प्रमाण की प्रति हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी संवाददाता नागदा के पास सुरक्षित है। कार्यवाही विवरण पर मप्र प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव एए मिश्रा के हस्ताक्षर हैं।
समय सीमा में जेएलडी का कार्य पूरा नहीं होने की चेतावनी दी गई है, जबकि नपा नागदा ने एक नोटिस के बाद जेएलडी प्लांट का निर्माण बिना अनुमति के बनाने पर अवैध घोषित कर दिया है। नपा सीएमओ मो. अशफाक खान हिस की पूर्व खबरों में इस मामले में ग्रेसिम प्रबंधन पर कार्यवाही तथा निर्माण कार्य रोकने के लिए न्यायालय में जाने की तैयारी का खुलासा कर चुके हैं। अवैध निर्माण के नपा के नोटिस की प्रति भी हिस के पास सुरक्षित है। इस कार्यवाही विवरण की सूचना ग्रेसिम अधिष्ठाता को प्रेषित करने का भी खुलासा है।
ये भी दिए आदेश
कार्यवाही विवरण सूचना में बोर्ड ने ग्रेसिम उद्योग द्वारा किए जा रहे जलप्रदाय संबधी समस्त प्रभावित गांवों की सूची जलप्रदाय स्रोतों सहित बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को अनुमोदन हेतु 15 दिवस भीतर उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। गेसिम की केमिकल डिवीजन यूनिट एसएलएफकी लीक डिडेक्शन स्टडी नीरी अथवा अन्य संस्था से अविलंब प्रारंभ कर 15 दिनों में सूचना दे। ग्रेसिम को 15 दिनों की समय सीमा में सीएसटू प्लांट में फलोमीटर केंद्रीय बोर्ड के सर्वर से संलग्र करने की हिदायत है।
रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य का दावा
बैंक गारंटी राशि जब्त करने की बोर्ड के चेतावनी प्रमाण की प्रति हिस को रेल मंत्रालय पश्चिमी-मध्य रेलवे बोर्ड के पूर्व सलाहकार सदस्य अभिेषेक चौरसिया निवासी नागदा ने इस दावे के साथ उपलब्ध कराई है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली के अधिकारी दीनानाथ गोडा ने अपने पत्र के साथ इस चेतावनी से संबधित दस्तावेज उन्हें प्रेषित किए हैं। अभिषेक कहना है कि शहर में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर एक शिकायत उन्होंने केंद्रीय बोर्ड को की थी। बोर्ड के अधिकारी ने उस शिकायत का संदर्भ अपने इस पत्र में दिया है।
क्या है बैंक गारंटी का मामला
ग्रेसिम के स्टेपल फाईबर उत्पादन में प्रतिदिन चंबल नदी सें लगभग 1.5 एमसीएफटी पानी का उपयोग बतौर रॉमटेरियल होता है। उत्पादन के बाद लाखों लीटर रसायुक्त पानी उद्योग इटीपी प्लांट से गुजरने के बाद सीधे चंबल नदी मेें छोड़ता है। इटीपी का शुभारंभ वर्ष 1982 में तत्कालीन राज्य प्रो. केएम चांडी ने किया था। चबंल को प्रदूषण से बचाने के लिए एनजीटी भोपाल में दायर एक जनहित याचिका के निर्णय में प्रदूषण रोकने के लिए कदम उठाने का आदेश था। इस आदेश के परिपालन में मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशन में उद्योग से निकलने वाले पानी की मात्रा चंबल में शून्य करने की प्रक्रिया शुरू हुई। जेएलडी याने जीरों लिक्विड प्लांट नाम दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक ग्रेसिम यह कार्य इजराइल की तकनीकी से कर रहा है। इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य जनवरी 2021 तक पूरा करने का निर्देश था। बोर्ड ने बतौर गारंटी 15 करोड़ जमा कराए थे।
कार्यवाही विवरण के मुताबिक केंद्रीय बोर्ड के निर्देश पर उद्योग प्रबंधकों की कार्यवाही शहर में प्रदूषण नियंत्रण के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया तो बोर्ड असंतुष्ट हुआ। इसी बात को ध्यान में रखकर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक वीडियो कांफ्रेसिंग बैंठक की। उसके बाद कार्यवाही विवरण में ग्रेसिम के जेएलडी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं होने पर जमा राशि जब्त करने की चेतावनी का उल्लेख है।
ग्रेसिम के यूनिट हेड का नाम शामिल
गत 9 सितम्बर की समीक्षा बैठक बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई। बोर्ड ने इसका कार्यवाही विवरण जारी किया। जिसके अनुसार बैठक में शामिल 11 अधिकारियों के शामिल होने का खुलासा है। ग्रेसिम के यूनिट हेड के. सुरेश, केमिकल डिवीजन यूनिट हेड प्रेम तिवारी, लैंक्सेस यूनिट हेड संजयसिंह समेत बोर्ड के अधिकारियों की उपस्थिति का जिक्र है।
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