नई दिल्ली: अमेरिका (America) में सबसे बड़े हिंदू मंदिर (hindu temple), बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम (BAPS Swaminarayan Akshardham) का औपचारिक उद्घाटन आज यानी 8 अक्टूबर (रविवार) को न्यू जर्सी (new Jersey) में किया गया. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, टाइम्स स्क्वायर (times Square) से 90 मीटर दक्षिण में स्थित 183 एकड़ के इस मंदिर को बनने में लगभग 12 साल लगे. इसके निर्माण में पूरे अमेरिका से 12,500 से अधिक स्वयंसेवकों (volunteers) ने भाग लिया.
हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं.
- इस मंदिर के निर्माण में अमेरिका के 12,500 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया है, इस मंदिर को भव्य रूप से बनकर तैयार होने में लगभग बारह साल का वक्त लगा है. यह मंदिर 255 फीट लंबा, 345 फीट चौड़ा और 191 फीट ऊंचा है और 183 एकड़ में फैला हुआ है.
- बीएपीएस आध्यात्मिक नेता महंत स्वामी महाराज द्वारा निर्देशित बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम का उद्घाटन 8 अक्टूबर यानी आज हुआ, लेकिन इसके दरवाजे 18 अक्टूबर को आगंतुकों के लिए खुलेंगे.
- अपने उद्घाटन से पहले ही न्यू जर्सी में बना यह हिन्दू मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है.
- यह मंदिर न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर, न्यूयॉर्क से लगभग 60 मील (90 किमी) दक्षिण में, या वाशिंगटन डीसी से लगभग 180 मील (289 किमी) उत्तर में, न्यू जर्सी के छोटे रॉबिन्सविले टाउनशिप में यह मंदिर तैयार किया गया है.
- संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर को प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुसार सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है. इसमें 10,000 से अधिक मूर्तियों और जटिल नक्काशी का एक उल्लेखनीय संग्रह है, जो भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों को दर्शाती है.
- पीटीआई के अनुसार, आधुनिक युग के हिंदू मंदिरों में, अक्षरधाम संभवतः कंबोडिया के प्रतिष्ठित अंगकोर वाट के बाद दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है.
- मुख्य मंदिर के अलावा मंदिर में 12 उप-मंदिर हैं. नौ शिखर (शिखर जैसी संरचनाएं) और नौ पिरामिडनुमा शिखर हैं.
- मंदिर के निर्माण के लिए चूना पत्थर, ग्रेनाइट, गुलाबी बलुआ पत्थर और संगमरमर सहित लगभग दो मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर की आवश्यकता थी. ये पत्थर भारत, तुर्की, ग्रीस, इटली और चीन सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से मंगवाए गए हैं.
- मंदिर की एक उल्लेखनीय विशेषता एक पारंपरिक भारतीय बावड़ी है जिसे ‘ब्रह्म कुंड’ के नाम से जाना जाता है. जिसमें दुनिया भर के 300 से अधिक जल निकायों का पानी शामिल है.