भोपाल। पंचायती राज में ग्राम पंचायतें ग्रामीण अंचल (rural area) की मुख्य धुरी होती हैं। गाँव के चहुँमुखी विकास (all round development) में पंचायतों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। चाहे विकास के मुद्दे हो या संकट की घड़ी, पंचायतें अपनी भूमिका को निष्पक्ष तरीके से निभाती हैं। गत अगस्त माह में मध्यप्रदेश के कुछ अंचलों में अति-वृष्टि से बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई। इस दौरान पंचायत स्तर पर जिस तत्परता से जन-जीवन को बहाल करने के लिये राहत एवं पुनर्वास के काम ग्राम पंचायतों द्वारा किए गए वह अब तक किये कार्यों में एक मिसाल बने। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा राज्य स्तर से लेकर पंचायत तक युद्ध स्तर पर कमर कसकर काम किया गया। परिणामस्वरूप लगभग एक दर्जन जिलों में हजारों गाँवों में तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू हुए और बड़ी संख्या में बाढ़ प्रभावित परिवारों की उजड़ी हुई गृहस्थी फिर से बसाने में कामयाबी मिली।
प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों में अगस्त माह के शुरूआती दिनों में भीषण बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ था। शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, दतिया, अशोकनगर, गुना एवं विदिशा आदि जिलों में बाढ़ से सर्वाधिक नुकसान हुआ। तबाही का मंजर यह था कि बड़ी संख्या में सड़कें, पुल, मकान ढह गये, फसलें चौपट हो गईं, मवेशी बह गये। आम रास्ते बंद हो गए। गृहस्थी का सामान बह जाने एवं मकान गिर जाने के कारण लाखों लोग बेघर हो गये। भारी बारिश के दौरान बाढ़ में फँसे लोगों से संपर्क कर उनको सुरक्षित निकालना तथा राहत शिविरों तक ले जाने की कठिन चुनौती प्रशासन के सामने थी। बाढ़ में सड़क एवं पुल टूट गये, रास्तों में, खेतों में चारों तरफ पानी भर गया। नदियों में पानी के तेज प्रवाह के कारण वाहन की तो बिसात क्या पैदल एवं नावों से भी गाँवों में पहुँचना संभव नहीं था। बिजली की लाइनें उखड़ने से बिजली सप्लाई बंद होने कारण मोबाईल डिस्चार्ज होने से गाँवों में संपर्क ठप्प हो गया। इस स्थिति में बाढ़ प्रभावित गाँवों में न तो पहुँच पाना संभव था, न ही मोबाईल फोन से संपर्क हो पा रहा था। इस आपदा में लाखों परिवार बेबस एवं लाचार थे। इस स्थिति में राज्य शासन ने चौतरफा प्रयास कर बाढ़ प्रभावितों की सहायता की और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। राज्य सरकार के साथ पंचायतों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बचाव एवं राहत कार्यों में महती भूमिका निभाई।
इस विषम और विपरीत परिस्थिति में पंचायत स्तर के अमले ने राहत और बचाव कार्य को केवल अपना सरकारी दायित्व न समझते हुये मानवता को सर्वोपरि मानते हुए काम शुरू किया। पंचायत सचिवों, रोजगार सहायकों, स्व–सहायता समूह सदस्यों ने अन्य विभागों, जन-प्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों के सहयोग से बाढ़ प्रभावितों तक पहुँचने का प्रयास किया। इस पूरी प्रक्रिया में पंचायत कर्मियों द्वारा पीड़ितों के साथ किये गये संवेदनशील व्यवहार एवं अपनत्व ने लोगों को काफी ढाँढस बंधाया और उनके लिए तबाही की घोर निराशा से उबरने का रास्ता आसान कर दिया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों का पालन करते हुए ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायतों के माध्यम से पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण के कार्य तत्काल शुरू किए। सबसे पहले बाढ़ में फँसे हुये लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। राहत शिविरों में उनके खानपान, उपचार आदि की व्यवस्था की गई। राहत शिविरों एवं तिरपाल आदि से बनाये गये अस्थाई घरों में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा पकाया हुआ भोजन उपलब्ध कराया। टूटी सड़कों की मरम्मत, घरों एवं आम रास्तों से पानी की निकासी का प्रबंध, स्वच्छ पेयजल, मृत पशुओं का निवारण, मकानों का मलबा हटाना, घरों में भरा कीचड़ एवं गाँवों से गंदगी हटवाने का कार्य तेज गति से किया गया।
इस व्यवस्था के साथ ही नुकसान के आंकलन एवं मरम्मत के काम शुरू किये गये। आपदा की इस घड़ी में मानवीयता को ध्यान में रख कर संजीदगी से किये कार्यों की वजह से पंचायत कर्मियों एवं पंचायती संस्थाओं की छवि बदली है। ग्राम पंचायतें अब सेवाप्रदाता एवं सहयोग के लिये जानी जा रही हैं। इतना ही नहीं ग्राम पंचायतें अब ग्रामीणों की उम्मीदों एवं आवश्यकताओं की पूर्ति का केन्द्र बनने में भी कामयाब हो रही हैं।
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से बाढ़ प्रभावित जिलों में सड़क, रास्ते, पुल-पुलिया, रपटे, छोटे-बड़े तालाब, मकान आदि का निर्माण कार्य तुरंत प्रारंभ कर दिया। इनमें से कई काम अब पूर्ण होने को हैं। त्रासदी से तहस-नहस हुए जन-जीवन को बहाल करने के काम में पंचायतों ने तत्परता से प्रयास किये। स्वयं की परवाह न करते हुए पंचायत सचिवों एवं रोजगार सहायकों के साथ अन्य सभी विभागीय अधिकारी, कर्मचारी, समूह सदस्य, जन-प्रतिनिधियों ने जिस सहयोग एवं सेवा की भावना से काम किया उससे लोगों को तुरंत राहत पहुँची तथा पंचायतों के प्रति लोगों का नजरिया बदल गया। अब पंचायतें ग्रामीणों की उम्मीदों एवं आवश्यकताओं की पूर्ति का केन्द्र बनती जा रही है। समय के साथ बढ़ते संसाधनों एवं सक्षमता से पंचायतों की सकारात्मक छवि जनमानस के स्मृति पटल पर बन रही है।
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