– ज्वेलर्स की विधवा बहू ने मांगे हर माह 45 हजार मिलेंगा 7 हजार खर्चा
इंदौर। मुंबई के ज्वेलर्स की विधवा बहू को अब हर माह 7 हजार रुपए दाना-पानी के तौर पर खर्चे के लिए मिलेंगे। अविभाजित संपत्ति में हिस्सा होने से अपीलीय कोर्ट ने उसे दाना-पानी का हकदार माना।
सूत्रों के अनुसार यहां मालवीय नगर में रहने वाली उर्मिला जैन की शादी वर्ष 1994 में मुंबई के राजेश ज्वेलर्स के बाबूलाल जैन से हुई थी। केवल 7 माह में ही पति की मौत होने के बाद वह परिवार के साथ रह रही थी। बाद में उसे सुसराल वालों ने अलग कर दिया और वह वर्ष 2012 तक हर माह 10 हजार रुपए गुजारा भत्ता के तौर पर देते रहे। बाद में यह बंद कर दिया तो उर्मिला मायके इंदौर आकर रहने लगी। उसने यहां की मजिस्ट्रेट कोर्ट से घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत गुजारा भत्ता दिलाने की मांग की थी, लेकिन मजिस्ट्रेट मधुलिका मुले के समक्ष सुसराल वालों ने उसके फेसबुक के फोटो दिखाकर बताया था कि वह स्वयं ट्यूशन पढ़ाकर एक लाख रुपए प्रतिमाह कमा लेती है। मजिस्ट्रेट ने यह कहकर विधवा की मांग नकार दी थी कि हिंदू दत्तक व भरण-पोषण अधिनियम 1956 में सास-ससुर, जेठ या देवर खर्चा उठाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
मजिस्ट्रेट के इस आदेश को उर्मिला ने अपीलीय कोर्ट में चुनौती दी थी। उर्मिला की ओर से दलील दी गई थी कि उसके पति का अविभाजित संयुक्त हिंदू परिवार होने से भाणा (राजस्थान) में संपत्ति व अन्य संपत्तियों में भी अंश है। महिला के जेठ मनोहरलाल, जेठानी मांगीदेवी, सास बादामबाई, देवर निलेश व उसकी पत्नी पिंकी ने अपील खारिज करने की मांग की थी। जज संजीव जैन ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करते हुए पांचों लोगों को विधवा को प्रतिमाह 7 हजार रुपए दाना-पानी के तौर पर इस आधार पर देने के आदेश दिए हैं कि महिला ने हिंदू दत्तक व भरण-पोषण अधिनियम के तहत नहीं, बल्कि घरेलू हिंसा के 2005 के अधीन आवेदन दिया था। महिला ने प्रतिमाह 45 हजार रुपए दिलाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने पाया कि वह ट्यूशन से 8-10 हजार रुपए कमा लेती है, ऐसे में वह प्रतिमाह 7 हजार रुपए की पात्र है। यह राशि उसे 5 साल पहले दावा लगाने के समय से मिलेगी।
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