– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
कोरोना आपदा के दौरान अनेक परिवारों को बड़ी त्रासदी का सामना करना पड़ा। कई बच्चों के सिर से माता-पिता संरक्षण समाप्त हो गया। सामाजिक सुरक्षा की भावना के अनुरूप इनका पालन पोषण सरकार का दायित्व होता है। जरूरतमन्दों को राहत के प्रयास अपरिहार्य हो जाते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना आपदा प्रबंधन प्रयासों के बीच ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय भी ले रहे हैं। यह तय किया गया कि कोरोना में जिन बच्चों के माता-पिता नहीं रहे, उनका पालन पोषण सरकार के द्वारा किया जाएगा। पन्द्रह करोड़ गरीब परिवारों को निःशुल्क राशन वितरण की योजना भी संचालित की गई। सरकार ने आगे बढ़कर यह जिम्मेदारी स्वीकार की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था कि कोविड के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहान्त हो गया, ऐसे अनाथ एवं निराश्रित बच्चों के भरण-पोषण और समुचित देखभाल के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए। किसी भी शिक्षण संस्थान द्वारा यदि विद्यार्थियों से शुल्क लिया गया है तो शिक्षकों के वेतन से कटौती ना की जाए। आपदा के समय में किसी के वेतन से कटौती उचित नहीं है। वेतन का भुगतान समय पर किया जाए। शिक्षा से सम्बन्धित सभी विभागों द्वारा अपने अन्तर्गत संचालित शिक्षण संस्थानों में इस व्यवस्था का अनुपालन कराया जाए।
कुछ समय पहले योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षनाथ मंदिर में कोरोना महामारी के चलते अपने माता-पिता खो चुके बच्चों से मुलाकात की थी। इसके अलावा वह बाल आश्रय गृह भी पहुंचे। उन्होंने बेसहारा बच्चों भरोसा दिलाया कि माता-पिता का न रहना बेहद दुखदायी है, लेकिन चिंता मत करो, मैं हूं। ऐसे सभी बच्चों का पर्याप्त सुविधाओं के साथ पालन पोषण होगा। बच्चों से मिलते समय योगी आदित्यनाथ स्वयं भी भावुक थे। उन्होंने बच्चों को उपहार दिए। योगी ने इन बच्चों के सिर पर हाथ रखा और कहा कि सरकार हर पल उनके साथ खड़ी है। यहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं बल्कि अभिभावक की तरह दिखाई दे रहे थे। इसी भूमिका में बच्चों को सबको समझाने का प्रयास किया। पढ़-लिखकर जीवन में कुछ अच्छा और बड़ा करने के लिए प्रेरित किया।
इस क्रम में बाल सेवा योजना की औपचारिक शुरुआत हो गई है। कोरोनावायरस संक्रमण में अनाथ हुए चार हजार पचास बच्चों को इस योजना का लाभ मिला है। बताया गया कि दो सौ चालीस बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई है। अड़तीस सौ दस बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता या पिता में से किसी एक की कोरोना से जान चली गई है। लोक भवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस योजना के तहत अठारह वर्ष की आयु तक के जिन बच्चों के माता-पिता या दोनों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो गई है,उन्हें इस योजना के तहत चार हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे।
शुभारंभ के मौके पर चार हजार पचास बच्चों के बैंक खाते में चार हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से तीन माह का बारह-बारह हजार रुपए जमा कराए गए। ग्यारह से अठारह वर्ष तक की आयु के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में कराई जाएगी। कक्षा नौ या इससे ऊपर की कक्षा में या व्यावसायिक कोर्स कर रहे अठारह वर्ष आयु तक के ऐसे बच्चों को टैबलेट या लैपटॉप भी दिया जाएगा। कोरोना काल में अनाथ हुईं लड़कियों को विवाह योग्य होने पर इस योजना के तहत एक लाख एक हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलेगी।
आनंदी बेन पटेल ने कहा कि, योजनाओं में जन सहभागिता को शामिल किया जाना चाहिए। इससे योजनाओं के परिणाम अच्छे मिलते हैं। निराश्रित बच्चों को गोद लेकर उन्हें घर का माहौल देना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों से भी जो बच्चे अनाथ हुए हैं, उन्हें भी योजना में शामिल किया जाएगा। कोरोना संकट के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना लागू की गई। जिसके तहत लगभग अस्सी करोड़ लोगों तक निशुल्क राशन पहुंचाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के लगभग पन्द्रह करोड़ लोगों को भी इसका लाभ मिल रहा है। अन्त्योदय कार्डधारक परिवारों को पांच किलो ग्राम गेहूं व एक किलो ग्राम दाल राशन मुफ्त दिया जा रहा है। इसका लाभ प्रदेश के तीन करोड़ पचपन लाख कार्ड धारकों को प्राप्त हो रहा है।
कोरोना टेस्ट व टीकाकरण अभियान में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है। लगभग चार करोड़ लोगों को मुफ्त में टीका लग चुका है। किसानों को ग्यारह हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत प्रदेश के दो करोड़ बयालीस लाख किसानों को लाभान्वित किया गया है। करीब ढाई करोड़ से अधिक किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से लाभान्वित किया गया। स्वनिधि योजना के माध्यम से गरीब व्यापारियों को सहायता पहुंचे गई। इस योजना में भी उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है।
योगी आदित्यनाथ ने रोज कमाने खाने वाले, पटरी दुकानदार,दैनिक मजदूर और फैक्ट्रियों में काम काम करने वाले कर्मचारियों की आजीविका का भी ध्यान रखा। स्वनिधि योजना के तहत सबसे ज्यादा ऋण दिया गया। ऐसे सभी कार्य सरकार के सामाजिक दायित्व बोध को रेखांकित करते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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