भोपाल। अब जब रबी की फसल की बोवनी शुरू होने में एक सप्ताह का समय ही बचा है, तब किसान डीएपी और एनपीके सहित विभिन्न खादों की तलाश में दर दर भटक रहा है, तब प्रदेश के मुख्यमंत्री ढोल (Chief Minister Dhol) की थाप पर नृत्य कर संकट को बढ़ाने और किसानों की लूट को सुनिश्चित करने की ही व्यवस्था कर रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि खाद की यह किल्लत सरकार की लापरवाही और खाद माफियाओं के साथ सांठगांठ का नतीजा है। यह किल्लत जितने ज्यादा और जितने अधिक दिनों तक रहेगी, किसानों की लूट भी उतनी ही अधिक होगी।
माकपा नेता ने कहा है कि पिछले साल रबी की फसल के लिए 82.27 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता पड़ी थी। इस बार मानसून के सामान्य रहने से संभव है कि खाद की आवश्यकता में और इजाफा हो जाये। मगर सरकार और सहकारी समितियां अभी तक यह बताने की स्थिति में ही नहीं हैं कि प्रदेश में इस समय कितनी मात्रा में खाद उपलब्ध है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि प्रदेश में खाद का बड़ा हिस्सा बाहर से आता है। शिवराज सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उसने बाहर से खाद मंगाने के लिए क्या प्रयास किए हैं। आमतौर पर सरकार बहाने बनाती है कि खाद के लिए रेलवे के रैक उपलब्ध नहीं हैं। मगर यह समस्या तब आती है, जब बोवनी के ऐन मौके पर सरकार खाद की व्यवस्था करने के प्रयास करती है। जाहिर है कि यदि एक माह पहले से खाद की उपलब्धता के प्रयास सरकार करती तो यह संकट ही पैदा नहीं होता।
माकपा ने कहा है कि एक खास साजिश के तहत खाद की किल्लत पैदा की गई है। यूरिया और डीएपी को छोडक़र बाकी खादों की कीमतों में 300 से लेकर 600 रुपए तक प्र्रति बोरा कीमते नरेंद्र मोदी सरकार ने बढ़ाई हैं। यह वृद्धि एक अक्टूबर से होगी। इसलिए पहले आई खाद को भी जानबूझकर छुपा लिया गया है ताकि एक अक्टूबर के बाद इस खाद को बढ़ी हुई कीमतों से बेच कर किसानों को लूट जा सके।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की है ताकि समय पर बोवनी के साथ ही किसानों को लूट से भी बचाया जा सके।