भोपाल। प्रदेश में सभी तरह की इमारतों में फायर सिस्टम अनिवार्य है, लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग आगजनी की घटनाओं के बाद जागता है। इंदौर में आगजनी की घटना के बाद विभागीय मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने एक बार फिर विभागीय अफसरों को ऊंची इमारतों में फायर सिस्टम अनिवार्य रूप से लगवाने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले भी मंत्री इमारतों में फायर सिस्टम लगवाने के निर्देश दे चुके हैं। मंत्री ने अफसरों से कहा है कि शहरों में स्थित ऊँची इमारतों, होटल, शैक्षणिक भवनों आदि में उपयुक्त फायर सिस्टम लगवायें और इसे चालू हालत में रखें। राष्ट्रीय भवन संहिता 2016 के भाग-4 अनुसार आवासीय उपयोग के 15 मीटर या अधिक ऊँचाई के भवन, जिसमें दो या अधिक बेसमेंट है अथवा एक बेसमेंट का क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से अधिक है होटल, शैक्षणिक संस्था, व्यवसायिक, औद्योगिक आदि एवं मिश्रित उपयोग के भवन (किसी एक तल या अधिक तल का फ्लोर एरिया 500 वर्ग मीटर से अधिक) शैक्षणिक भवन जिसकी ऊँचाई 9 मीटर या अधिक है और सभा भवन, आकस्मिक सभा उपयोग के भवन आदि के लिए फॉयर एनओसी ली जाना एवं उपयुक्त फॉयर सिस्टम स्थापित किया जाना आवश्यक है। फॉयर एनओसी प्राप्त करने के लिए शासन द्वारा अग्निशमन प्राधिकारी घोषित किये गए हैं।
अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य
मंत्री ने कहा है कि भवनों में अग्नि सुरक्षा से संबंधित अपेक्षाओं का पालन किया जाना अनिवार्य है। प्रदेश के कई ऊँची इमारतों एवं अन्य उल्लेखित भवन जो राष्ट्रीय भवन संहिता के भाग 4 की श्रेणी में आते हैं, के द्वारा फॉयर एनओसी प्राप्त नहीं की जाना एवं भवनों में उपयुक्त तथा क्रियाशील फॉयर सिस्टम स्थापित नहीं होने की जानकारी प्राप्त हुई है। ग्रीष्म ऋतु में आगजनी की घटना को दृष्टिगत रखते हुए इस श्रेणी के भवनों में फॉयर सिस्टम स्थापित होना एवं चालू हालत में रखा जाना अनिवार्य है।
मौके पर जाएं और देखें सिस्टम लगा या नहीं
मंत्री ने कहा है कि भवनों में उपयुक्त फॉयर सिस्टम स्थापित होने एवं क्रियाशील होने के संबंध में स्थल निरीक्षण कराया जाकर जानकारी प्राप्त की जाये। जिन भवनों में फॉयर सिस्टम स्थापित है वहाँ फॉयर सिस्टम चालू हालत में रखना सुनिश्चित कराया जाये। यदि इन भवनों में फॉयर सिस्टम स्थापित नहीं है तो आगामी 15 दिवस के अन्दर अनिवार्यत: फॉयर सिस्टम स्थापित कराया जाये। संबंधित भवन स्वामी को सक्षम प्राधिकारी/अग्निशमन प्राधिकारी से विधिवत् फॉयर एनओसी प्राप्त करने के लिए अवगत कराया जाये। निकायों के आयुक्त/मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा इन निर्देशों के पालन में कार्यवाही करते हुए पालन प्रतिवेदन 30 मई 2022 तक संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास में प्रस्तुत किया जाये।
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