6 माह में देना होंगे पैसे.. बोली लगाकर यह मत समझ लेना कि जमीन तुम्हारी हो गई… फैसला बंद लिफाफोंं से होगा
इंदौर। कंगाल हुई सरकार अब सरकारी संपत्ति (government property) बेचने पर तो आमादा हैे, लेकिन आलम यह हैै कि सरकार की संपत्ति को सुरक्षित समझने वाले लोग खरीदने से पहले यह जान लें कि कोई निजी व्यक्ति झगड़े की जमीन बेच दे तो उसका गला पकड़ा जा सकता है, लेकिन सरकारी संपत्ति में विवाद डला तो उसकी जिम्मेदारी खरीदने वाले की होगी। कल इस बात का ऐलान सरकारी संपत्ति (property) नीलामी के लिए बनाए गए लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने खुलेआम करते हुए कहा कि संपत्ति खरीदने के बाद कोई झगड़ा पड़ा तो वो तुम जानो। यदि बोली लगाकर संपत्ति ली तो छह महीने में पैसे जमा करना पड़ेंगे और पैसे जमा नहीं कर पाए तो जमा राशि जहां डूबना तय है, वहीं ऊंची बोली लगाकर यह मत समझ लेना कि बोली लगाकर आपने संपत्ति हासिल कर ली है। इसके बाद बंद लिफाफों को खोला जाएगा और यदि उनमें किसी अन्य व्यक्ति की अधिक राशि हुई तो संपत्ति का अधिकार उसे मिलेगा और यह लिफाफे कब खुलेंगे यह भी तय नहीं है। तब तक बोली के लिए जमा की गई राशि भी वापस नहीं की जा सकेगी।
राज्य शासन के विभिन्न विभागों द्वारा सरकारी भूमि (Government land) एवं संपत्तियों की ऑनलाइन नीलामी (auction) के लिए गठित लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी और चीफ जनरल मैनेजर प्रदीप जैन ने इंदौर के रियल एस्टेट से जुड़े दिग्गजों को सरकार की योजनाओं से अवगत कराने के लिए बुलवाया। जैन ने बताया कि वर्तमान में 71 करोड़ में उज्जैन की विनोद मिल सहित अन्य संपत्तियां नीलामी के लिए रखी गई हैं। नीलामी के लिए दो तरीके होंगे। बोली लगाने वाले को बंद लिफाफों में अपनी बोली देना होगी। इसके बाद सरकार द्वारा निर्धारित दर से ऑनलाइन बोली शुरू की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति ने ऑनलाइन बोली में ऊंची बोली लगा भी दी तो बंद लिफाफे खुलने के बाद यदि उस रकम से ज्यादा राशि बंद लिफाफों में मिली तो जमीन का पहला हक उस व्यक्ति का होगा। अपनी बात कहने के बाद जमा कारोबारियों ने जब सवालों की बौछार की तो जैन कई बार अनुत्तरित हो गए। उनके यह कहे जाने पर कि बोली के बाद रजिस्ट्री कलेक्टर द्वारा कराई जाएगी, तो यहा सवाल उठा कि जिस संपत्ति का मालिक कोई और विभाग है उसकी रजिस्ट्री कलेक्टर कैसे कर सकते हैं? तो अपने आप को सुधारते हुए जैन ने कहा कि उस विभाग में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। बिनोद मिल की एप्रोच के लिए डाली गई 24 मीटर की रोड मास्टर प्लान में शामिल नहीं होने और विवाद पडऩे के सवाल पर वे जवाब नहीं दे पाए। जिन जमीनों की नीलामी (auction) की जा रही है उनका नगर एवं ग्राम निवेश विभाग से नक्शा पास कराया जाएगा या नहीं इस सवाल पर जैन ने कहा कि जो जमीन जिस स्थिति में है उसी स्थिति में बेची जाएगी। इस सवाल का भी वे जवाब नहीं दे पाए कि बेची जाने वाली जमीन में यदि मास्टर प्लान की रोड शामिल है तो उसका रकबा घटेगा या नहीं। चर्चा के दौरान जैन ने कहा कि बोली लगाने वाले को तत्काल 25 प्रतिशत राशि, तीन माह बाद 25 प्रतिशत और उसके तीन माह बाद संपूर्ण राशि देना होगी। बोली लगाने वाले को तीन माह का अतिरिक्त समय 1 प्रतिशत ब्याज के साथ दिया जा सकेगा। यह पूछे जाने पर कि संपत्ति खरीदने के बाद यदि कोई विवाद खड़ा होता है तो जैन ने कहा कि हम संपत्ति को जस की तस स्थिति में बेच रहे हैं। यदि इसके बाद कोई विवाद खड़ा होता है तो उसकी जिम्मेदारी खरीदने वालों की होगी। इस पर वहां मौजूद लोग भडक़ उठे और कहा कि यदि निजी बिल्डर या व्यक्ति किसी भी संपत्ति को बेचता है तो भविष्य में होने वाले किसी भी विवाद के निराकरण की जिम्मेदारी बेचने वाले की होती है तो सरकार कैसे पल्ला झाड़ सकती है। इस पर फिर अधिकारी पल्ला झाड़ते नजर आए। सवालों की बौछार होते देख अधिकारियों को बीच में चर्चा रोकना पड़ी।
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