नई दिल्ली: कोरोना महामारी की वजह से बढ़ते राजकोषीय घाटे पर काबू पाने के लिए सरकार खाद और खाद्य (Food and Fertiliser) उत्पादों पर सब्सिडी घटाने की तैयारी कर रही है. मामले से जुड़े दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्तवर्ष में सरकार उर्वरक और खाद्य उत्पादों की सब्सिडी में बड़ी कटौती कर सकती है. चालू वित्तवर्ष में सरकार इस मद में करीब 3.7 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
अधिकारियों का कहना है कि वित्तवर्ष 2023-24 के लिए फूड और फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी में करीब 26 फीसदी की कटौती की जा सकती है. इसका मकसद बढ़ते राजकोषीय घाटे पर काबू पाना है. गौरतलब है कि मुफ्त अनाज योजना की वजह से सरकार की खाद्य सब्सिडी चालू वित्तवर्ष में काफी बढ़ गई है. इसके अलावा किसानों को उर्वरक पर भी भारी-भरकम सब्सिडी दी जा रही है, जबकि ग्लोबल मार्केट में कई तरह के उर्वरक के दाम काफी बढ़ गए हैं.
बजट का आठवां हिस्सा सिर्फ सब्सिडी पर खर्च
फूड और फर्टिलाइजर्स सब्सिडी की वजह से राजकोषीय घाटे पर क्यों बोझ बढ़ता जा रहा, इसकी बानगी आंकड़े खुद पेश करते हैं. चालू वित्तवर्ष के लिए जारी कुल 39.45 लाख करोड़ रुपये के बजट का आठवां हिस्सा सिर्फ खाद्य और खाद की सब्सिडी पर खर्च हो गया. हालांकि, इस पर फैसला लेने से पहले काफी सोच-विचार करना होगा, क्योंकि चुनाव से पहले ऐसे मुद्दों पर फैसला करना काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा.
2.30 लाख करोड़ रह सकती है खाद्य सब्सिडी
सरकार अगले वित्तवर्ष के लिए खाद्य सब्सिडी को घटाकर 2.30 लाख करोड़ रुपये कर सकती है, जो चालू वित्तवर्ष में करीब 2.70 लाख करोड़ रुपये रहा है. इसी तरह, फर्टिलाइजर्स की सब्सिडी पर होने वाला खर्च भी इस साल घटाकर 1.4 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है, जो चालू वित्तवर्ष के लिए करीब 2.3 लाख करोड़ रुपये रहा था.
क्या है सरकार का राजकोषीय लक्ष्य
सरकार भी बढ़ते राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित है, जबकि चालू वित्तवर्ष के लिए इसका लक्ष्य जीडीपी का 6.4 फीसदी रखा गया है. यह लक्ष्य पिछले एक दशक के 4 और 4.5 फीसदी के मुकाबले काफी ज्यादा है. कोरोनाकाल में तो खर्च बढ़ने की वजह से 9.3 फीसदी पहुंच गया था. फिलहाल सरकार की प्लानिंग अगले वित्तवर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे में 0.50 फीसदी कटौती करने की है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved