नई दिल्ली। अगर आपका बैंक अकाउंट (Bank Account) आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) में है तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, IDBI Bank में सरकारी हिस्सा बेचने की तैयारी पूरी हो गई है. इस पर जल्द ही कैबिनेट से सैद्धांतिक मंजूरी ली जाएगी. ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पर सलाह मशविरा का दौर पूरा हो चुका है. आपको बता दें कि बैंक को संकट से उबारने के लिए पिछले साल सितंबर में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और सरकार ने बैंक में इक्विटी पूंजी के रूप में 9,300 करोड़ रुपये का निवेश किया था.
अब क्या होगा- सूत्रों के मुताबिक इस मामले पर संबंधित मंत्रालयों से भी सलाह मशविरा पूरा हो चुका है. LIC, IDBI बैंक में अपना हिस्सा बेचने की इच्छुक है. बता दें कि IDBI Bank में LIC की 51 फीसदी और सरकार की 47 फीसदी हिस्सेदारी है.
क्या होगा ग्राहकों का
IDBI बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा. बैंक की सभी सर्विसेज बरकरार रहेंगी. आईडीबीआई एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. LIC ने IDBI में 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी. इसके बाद LIC और सरकार ने मिलकर 9300 करोड़ रुपये IDBI बैंक को दिये थे. इसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 4,743 करोड़ रुपये थी.
इसी साल 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बैंक बनाया गया
मार्च 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 सरकारी बैंक बनाने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इसके तहत पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक का विलय हो गया. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय हो गया. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को मिला लिया. इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में विलय हो गया.
2017 में SBI में उसके 5 सहयोगी बैंकों का हुआ विलय- इससे पहले 2017 में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में उसके 5 सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय कर दिया गया था. 2018 में बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय कर देने का फैसला किया गया था. सरकर ने लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को आईडीबीआई बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी लेने की भी अनुमति दे दी. इसके बाद IDBI तकनीकी तौर पर प्राइवेट बैंक बन चुका है.
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