भोपाल। प्रदेश में चुनावी साल होने की वजह से भाजपा व कांग्रेस दोनों की नजरें इस समय किसानों पर लगी हुई है। इसकी वजह है, प्रदेश में इनकी बड़ी आबादी का होना। बीते आम चुनाव में किसानों द्वारा कांग्रेस का साथ देने से भाजपा को सरकार से बाहर होना पड़ा था, जिससे सबक लेते हुए इस बार भाजपा का फोकस किसानों पर है। यही वजह है कि चुनाव से पहले भाजपा किसानों का साथ पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अब इन्हें साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले माह मप्र आने वाले हैं। वे यहां पर होने वाले किसान महासम्मेलन में भाग लेंगे। सम्मेलन में वे किसानों के खातों में फसल बीमा के तीन हजार करोड़ रुपये डालने की शुरुआत करेंगे। दरअसल किसान बड़ा वोट बैंक हैं और इन्होंने वर्ष 2018 के मप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ ऋण माफ करने के वचन के कारण समर्थन दिया था। इसी के चलते कांग्रेस 230 सदस्यीय विधानसभा में 114 सीटें जीती थी। पार्टी ने इस बार भी किसानों को ऋण माफी का वचन दिया है। रबी और खरीफ की फसलें वर्ष 2021-22 में अतिवृष्टि के कारण प्रभावित हुई थीं। सरकार ने उक्त वर्ष में न्यूनतम एक हजार रुपये का फसल बीमा देने का प्रविधान किया था।
यह है प्रदेश में किसानों का आंकड़ा
राज्य की कुल आबादी का 72 फीसदी आबादी ग्रामीण है, जिसकी आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि है। मध्य प्रदेश में कुल किसानों की संख्या लगभग 100 लाख यानी 1 करोड़ है। इसमें 1 हेक्टेयर तक जोत सीमा वाले सीमांत किसान 38 लाख 91 हजार हैं। वहीं लघु किसान जिनकी जोत सीमा 1 से दो हैक्टेयर के बीच है, उनकी संख्या 24 लाख 49 हजार है। प्रतिशत के हिसाब से प्रदेश में 48.3 प्रतिशत सीमान्त कृषक हैं, जबकि 27.15 प्रतिशत लघु कृषक हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved