भोपाल। शिक्षकों की मनोकामना यात्रा भोपाल पहुंचने से पहले सरकार ने उनकी नाराजगी को कम करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। सरकार उनकी क्रमोन्नति की मांग पर तेजी से काम कर रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 12, 24 और 30 साल में क्रमोन्नति देने का प्रस्ताव तैयार किया है, जो प्रशासकीय मंजूरी के लिए विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार को भेज दिया है। मंत्री की सहमति के बाद यह प्रस्ताव वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाएगा। ज्ञात हो कि शिक्षकों को क्रमोन्नति देने की नोटशीट पिछले ढाई साल से लोक शिक्षण संचालनालय और मंत्रालय के बीच घूम रही थी। इस बीच शिक्षक हर स्तर पर क्रमोन्नति दिलाने की मांग कर चुके हैं।
कौन लेगा निर्णय, बाद में होगा तय
किस स्तर के शिक्षक (उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक) को क्रमोन्नति देने का निर्णय कौन लेगा, यह बाद में तय होगा। पुराने संवर्ग के व्याख्याता की नियुक्ति आयुक्त लोक शिक्षण, उच्च श्रेणी शिक्षक की नियुक्ति संभागीय संयुक्त संचालक और सहायक शिक्षक की नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी ने की है। यही फार्मूला क्रमोन्नति पर लागू होता है, पर वर्ष 2014 में आयुक्त ने काम का बोझा कम करने के लिए अपने अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक को सौंप दिए और संभागीय संयुक्त संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी को। यानी नियुक्ति भले ही आयुक्त ने की हो, पर व्याख्याता संवर्ग को अन्य लाभ देने की जिम्मेदारी संभागीय संयुक्त संचालक निभाएंगे और उच्च श्रेणी शिक्षक व सहायक शिक्षक की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी। ऐसा ही इन शिक्षकों के मामले में किया जा सकता है।
विभागीय समिति का भी गठन नहीं
संवर्ग के लिए विभाग अब तक पदोन्नति-क्रमोन्नति विभागीय समिति का भी गठन नहीं कर पाया है। इस कारण भी मामले उलझ रहे हैं।
जनजातीय विभाग में मिल रहा लाभ
शिक्षकों की नियुक्त जनजातीय कार्य विभाग में भी हुई है, पर वहां ऐसी स्थिति नहीं है। वहां नियोक्ता कर्मचारियों को समय पर क्रमोन्नति का लाभ दे चुके हैं।
इनका कहना है
हमें पूरा भरोसा है कि सरकार क्रमोन्नति की तरह ही पुरानी पेंशन बहाल करने की दिशा में जल्द निर्णय लेगी। मुख्यमंत्री बेसहारा परिवारों को तकलीफ में नहीं देख सकते हैं। भोपाल तो हम अपनी बात सुनाने के लिए आ रहे हैं।
भरत पटेल, प्रांताध्यक्ष, आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ
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