भोपाल। प्रदेश में फसलों के अवशेष (नरवाई)से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार फसल अवशेष प्रबंधन योजना लागू करने जा रही है। इसके तहत किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए 40 से लेकर 50 फीसदी तक का अनुदान दिया जाएगा। कृषि विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना पर अंतिम निर्णय आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा।
फसल अवशेष प्रबंधन योजना में स्ट्रारीपर, बेलर, रीपर कम बाइंडर, मल्चर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रोटावेटर, प्लाऊ सहित अन्य चिह्नित कृषि यंत्र को शामिल किया गया है। लघु, सीमांत, महिला, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के किसानों को यंत्र की कीमत का 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। अन्य श्रेणी के किसानों को 40 प्रतिशन अनुदान दिया जाएगा। प्रदेश में गेहूं, धान, सोयाबीन, चना सहित अन्य फसलों की कटाई हार्वेस्टर से होने के कारण खेत में नरवाई (पराली) छूट जाती है। किसान इसे साफ कराने के लिए अलग से मजदूर लगाने का व्यय बचाने के लिए आग लगा देते हैं। इससे प्रदूषण तो फैलता ही है, भूमि के पोषक तत्व भी प्रभावित होते हैं। इसका असर भूमि की उत्पादन क्षमता पर भी पड़ता है।
नरवाई जलाने में दूसरे नंबर पर है मप्र
पंजाब के बाद मध्य प्रदेश नरवाई जलाने वाले राज्यों में दूसरे स्थान पर है। केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए जो योजना बनाई है, उसमें मध्य प्रदेश शामिल नहीं है। इसे देखते हुए सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना तैयार की है। इसमें किसानों को छह लाख रुपये तक आने वाले यंत्रों को खरीदने पर अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करना होगा और अनुदान की राशि सीधे खाते में अंतरित की जाएगी। बैठक में योजना को 2024-25 तक संचालित करने के लिए 59 करोड़ रुपये की स्वीकृति देने पर विचार किया जाएगा।
ये प्रस्ताव भी आएंग
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