भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में मप्र सरकार प्रदेश के 40 हजार से ज्यादा सेक्स वर्करों को गरीबों की तर्ज पर सस्ता राशन मुहैया कराने जा रही है। खास बात यह है कि राशन का वितरण एनजीओ के माध्यम से होगा और किसी भी सेक्स वर्कर की पहचान उजागर नहीं होगी। बिना पहचान उजागर किए घर पर राशन पहुंचाने का काम हर जिले में सेक्स वर्कर के हितों में काम करने वाली एनजीओ को दिया जाएगा। हर जिले में अलग-अलग एनजीओ के पास जिम्मेदारी है। यह डेटा बेस खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम को राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है। देश भर के सेक्स वर्करों को राशन वितरण प्रणाली सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए एक नई कैटेगरी बीपीएल की तरह बना दी गई है। ग्वालियर सहित प्रदेश भर में 40132 मेल और फीमेल सेक्स वर्करों को चिन्हित किया गया है, जिसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल में 1173, जबलपुर में 821, इंदौर में सबसे ज्यादा 2396 सेक्स वर्कर चिह्नित किए गए हैं। खास बात यह है कि सेक्स वर्करों को राशन मिलेगा और इनकी पर्ची भी जनरेट होगी, लेकिन आधार सीड की कोई जरुरत नहीं होगी।
एनजीओ के माध्यम से बंटेगा राशन
जिलों में चिन्हित मेल,फीमेल और ट्रांसजेंडर सेक्स वर्करों को राशन दिए जाने का काम दो एनजीओ को दिया गया है। राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी की ओर से प्रदेश भर में अलग-अलग जिलों में एनजीओ के नाम दिए गए हैं। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग इन एनजीओ को राशन उपलब्ध कराएगा और पात्रता पर्ची के आधार पर इनकी मैपिंग होगी।
कोरोना काल में भूखमरी की कगार पर पहुंचे सेक्स वर्कर
लॉकडाउन के इस दौर में सेक्स वर्करों की आय बंद हो गई और यह आजीविका चलाने तक को परेशान हो गए। ऐसे में गुजरात में एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में सेक्स वर्करों की परेशानियों को लेकर याचिका दायर की थी। इस पर अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया कि सेक्स वर्करों की स्थिति को लेकर उपाय किए जाएं। इस क्रम में कोर्ट ने सूखा राशन उपलब्ध कराए जाने के आदेश भी जारी किए। आदेश के परिपालन में अब राज्य सरकार ने सेक्स वर्करों के लिए सूखा राशन उपलब्ध कराए जाने के लिए ग्राउंड लेवल पर तैयारी शुरू कर दी है।
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