भोपाल। प्रदेश में प्राकृतिक खेती हो बढ़ावा देने के लिए जल्द ही फसल विविधिकरण प्रोत्साहन योजना लागू की जाएगी। इस योजना के जरिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में पायलट आधार पर प्राकृतिक कृषि के लिए क्षेत्र चयनित कर कार्य प्रारंभ किया गया है। दो प्रस्ताव सीसीआईपी (केबिनेट कमेटी फॉर इंडस्ट्रियल प्रमोशन) द्वारा मंजूर किए गए हैं। इस तरह के ठोस प्रस्ताव प्राप्त होने पर राज्य सरकार उनकी मंजूरी में विलंब नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषकों के आर्थिक हित को देखते हुए नई योजना ‘मध्यप्रदेश फसल विविधिकरण के लिए प्रोत्साहनÓ वर्तमान वित्तीय वर्ष से तीन वर्ष के लिए लागू की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल विविधिकरण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों से आगे बढ़ रहा है। निश्चित ही किसानों द्वारा रूचि लिए जाने से प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने का कार्य आसान होगा। जिन कृषकों ने प्राकृतिक खेती प्रारंभ की है, उनके कार्यों को देखकर अन्य किसान इसके लिए प्रेरित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूँ और धान के स्थान पर प्राकृतिक कृषि में अन्य अनाज लिए जाने की पहल की गई है। सोयाबीन का रकबा कम न हो, क्योंकि यह भी राज्य की आवश्यकता है। किसानों द्वारा गेहूँ और धान के स्थान पर अन्य उत्पादन लेने के प्रयास सराहनीय हैं।
उद्योगों के साथ करेंगे किसान
अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी ने बताया कि फसल विविधिकरण में कृषकों को उद्योगों के साथ कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग समिति के समक्ष जो प्रस्ताव आए हैं, उपयुक्त हैं। मध्यप्रदेश में धान और गेहूँ के स्थान पर लाभकारी फसलों को प्रोत्साहित करने, किसानों को ऐसी किस्मों को बढ़ावा देने जो सरकारी खरीद पर निर्भर नहीं हैं और उन्हें बाजार और निर्यात के लिए अनुकूल सुविधाएँ हैं, मोटे अनाज कोदो -कुटकी, रामतिल, मसालों आदि को बढ़ावा देने और पर्यावरण संतुलन के लिए जलवायु आधारित अनुकूल फसलों को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य है।
निजी कंपनियों बताएंगी कैसे करें खेती
आईटीसी और ग्रीन एंड ग्रेंस कंपनी ने प्रेजेंटेशन दिए और प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में प्रारंभ किए गए कार्य से अवगत करवाया। कंपनियों के प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्होंने सुगंधित औषधीय पौधों के उत्पादन का कार्य सीहोर जिले में प्रारंभ किया है। वैज्ञानिक शोध के आधार पर तुलसी की अनेक प्रजातियों में से अनुकूल प्रजाति का चयन किया गया। अशवंधा और कलोंजी उत्पादन भी किया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट से जुडऩे के लिए अनेक किसान प्रेरित हुए हैं। वे होशंगाबाद जिले में गत सात वर्ष से इस मॉडल पर कार्य कर रहे हैं। लागत में 20 प्रतिशत की कमी और उत्पादन विक्रय में 25 से 30 प्रतिशत ज्यादा लाभ प्राप्त हो रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved