इंदौर। इंदौर-उज्जैन सिक्स लेन प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद वहां से गुजरने वाले वाहनों से टोल टैक्स वसूली तो प्रदेश सरकार करेगी, लेकिन उसकी साज-संभाल रोड बनाने वाली कांट्रेक्टर कंपनी को 15 साल तक करना होगी। अब मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) को यह तय करना है कि टोल वसूली का फॉर्मूला क्या हो।
कांट्रेक्टर कंपनी को रखरखाव के लिए नियमानुसार राशि का भुगतान एमपीआरडीसी करती रहेगी। उसे हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल पर सड़क चौड़ीकरण का ठेका दिया गया है। प्रोजेक्ट की कुल लागत 1692 करोड़ रुपए आंकी गई है। इंदौर-देवास सिक्स लेन हाईवे और इंदौर बायपास के बाद यह तीसरा हाईवे होगा, जिसकी चौड़ाई सिक्स लेन होगी। हालांकि तीनों में से सिर्फ इंदौर-उज्जैन हाईवे ही स्टेट हाईवे है, जिसका साज-संभाल एमपीआरडीसी के पास है। बचे दोनों हाईवे नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया के पास हैं।
नहीं बदलेगी दोनों टोल प्लाजा की जगह
एमपीआरडीसी के महाप्रबंधक राकेश जैन ने बताया कि इंदौर-उज्जैन सिक्स लेन रोड प्रोजेक्ट के तहत दो टोल प्लाजा जस के तस रहेंगे। वर्तमान फोर लेन रोड पर एक टोल प्लाजा इंदौर के पास बारोली और दूसरा उज्जैन के पास निनौरा में है। दोनों यथावत रहेंगे। केवल वहां की चौड़ाई सिक्स लेन के हिसाब से बढ़ाई जाएगी। सड़क निर्माण करने वाली कंपनी 15 साल तक हाईवे संभालेगी। टोल वसूली का काम एमपीआरडीसी अलग से नीति तय कर दूसरी एजेंसी को सौंपेगी।
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