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    भारतीय सेना के लिए नए फील्ड गन खरीदेगी सरकार, दशकों पुरानी 105MM/37 बंदूकें होंगी रिप्लेस

  • April 29, 2022

    नई दिल्ली: भारतीय सेना अपने आधुनिकरण के दौर से गुजर रही है. चीन और पाकिस्तान से लगने वाली अपनी सीमा, पहाड़ी इलाकों व हाई ऑल्टीट्यूड एरिया में तैनाती के लिए नई तोप की खरीद भारतीय सेना कर रही है. रक्षा मंत्रालय ने 105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन सिस्टम की खरीद के लिए लिए RFI (रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन) जारी की है. किसी भी सैन्य उपकरण की खरीद के लिए यह पहला चरण होता है. रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की जरूरतों को बताया है.

    जो भी कंपनियां भारतीय सेना की जरूरतों पूरा कर सकती हैं, वे इस आरएफआई के आधार पर अप्लाई करेंगी. इस आरएफआई में जो मुख्य जरूरतें बताई गई हैं, उसमें एक यह है कि गन ट्रायल के दौरान सभी तरह के गोला-बारूद फायर कर सके, जो कि इस वक्त इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं. यह गन सिस्टम नॉर्दर्न बॉर्डर के पहाड़ों और हाई ऑल्टीट्यूड एरिया में तैनात करने और इस्तेमाल करने के लिए सक्षम होना चाहिए. दिन और रात में काम करने के लिए फायर कंट्रोल सिस्टम होना चाहिए.


    गन सिस्टम में बिल्ट इन टेस्ट फैसिलिटी (BITE) होनी चाहिए जिससे कुछ भी गड़बड़ी हो उसे आसानी से पकड़ा जा सके और दुरुस्त किया जा सके. गन सिस्टम में कम से कम 50 प्रतिशत कल-पुर्जे स्वदेशी होने चाहिए. आत्मनिर्भर भारत मुहीम के तहत स्वदेशी कंपनियों को तरजीह दी जा रही है. 105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन 60-70 के दशक से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं. जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना के पास 100 से ज्यादा 105MM/37 गन है, लेकिन अब ये काफी पुरानी हो चुकी हैं.

    105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन की सबसे खास बात होती है कि यह वजन में हल्की होती है. इसे हाई ऑल्टीट्यूड एरिया में आसानी से तैनात किया जा सकता है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर इनकी तैनाती की है. ये गन दिन और रात में फायर कर सकती हैं. 105MM/37 कैलिबर माउंटेड गन की अधिकतम मारक क्षमता 17 किलोमीटर है. गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुए खूनी संघर्ष के बाद लद्दाख में इन गन्स की तैनाती बढ़ा दी गई है.

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