भोपाल। राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए मोबाइल खरीदी में बड़े घोटाले की तैयारी है। 5050 रुपए कीमत का मोबाइल महिला एवं बाल विकास विभाग 76 हजार रुपए में खरीदने जा रहा है। खास बात यह है कि खरीदी का ठेका इंदौर की कागज सप्लाई करने वाली कंपनी को दिया गया है। खरीदी में हो रहा फर्जीबाड़ा उजागर होने के बाद सरकार ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया हे। सरकार ने अधिकारियों से गड़बड़ी पर जवाब मांगना मुनासिब नहीं समझा। मोबाइल खरीद मामले में इतनी ढिलाई प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी है। होना तो यह चाहिए कि जैसी ही गड़बड़ी पता चले, मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी अपने स्तर पर तुरंत संज्ञान लें। स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोष सिद्ध होने पर बर्खास्तगी और जेल भेजने की कार्रवाई की जाए, तभी हालात सुधरेंगे। शर्मा कहते हैं कि कोई भी सामान खरीदने में अधिकारी मनमर्जी चलाते हैं। मर्जी होती है, तो राष्ट्रीय और नहीं होती है तो राज्य स्तरीय संस्था से खरीद लेते हैं। कई बार सीधे ही खरीद लेते हैं।
सीएम का आदेश नहीं मान रहे अफसर
मुख्यमंत्री के आदेश-निर्देश पर कार्रवाई करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। मामले में पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच कहती हैं कि एक समय था जब कुछ भी पता चलने पर लोग संज्ञान लेते थे और कार्रवाई भी होती थी, पर अब ऐसा नहीं होता। इस मामले की बात है तो विभाग के अधिकारियों को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
पूर्व पीसीसी चीफ ने उठाया मामला
सरकार ने एक बार फिर घोटालों का खेल शुरू कर दिया प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने मोबाइल खरीद मामले में शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। यादव ने लिखा है कि भाजपा सरकार घोटालों की सरकार है। उन्होंने लिखा है कि भाजपा ने सरकार में आते ही घोटालों का खेल फिर शुरू कर दिया है।
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