भोपाल। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर जल्द ही मध्यप्रदेश सरकार भी किसानों से गाय का गोबर खरीदेगी। सरकार गोबर से खाद और पेंट बनवाएगी। इसका उद्देश्य गौ-शालाओं को आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है। सरकार ने एक समिति गठित की थी, जिसने हाल ही में छत्तीसगढ़ का दौरा किया। इस समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार का गोबर खरीदने का मॉडल समझा। गोबर खरीदने की प्रक्रिया को समझकर उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। छत्तीसगढ़ सरकार के मॉडल से मध्यप्रदेश का मॉडल अलग होगा।
गौ-शालाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य
मध्यप्रदेश गौ-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरी के नेतृत्व में टीम छत्तीसगढ़ गई थी। गिरी ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी हैं। हमारा उद्देश्य सड़क पर घूमने वाले जानवरों की देखभाल के लिए लोगों को जागरूक करना और प्रदेश की गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।
1758 गौशालाएं हैं प्रदेश में
प्रदेश में 1758 गौशालाएं संचालित हैं, जिनमें दो लाख 76 हजार गौवंश हैं। 1500 गौशालाएं निर्माणाधीन हैं। इनका निर्माण पूरा होने पर करीब डेढ़ लाख गौवंश गौशालाओं में पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि सड़कों पर करीब साढ़े चार लाख गौवंश अनुमान के अनुसार हैं।
दो रुपये किलो से खरीदेगी सरकार
सरकार दो रुपये प्रतिकिलो की दर से गोबर खरीदेंगी। एक पशु एक दिन में 10 किलो गोबर करता है। ऐसे में किसान या गोपालक अपने पशुओं को बांधकर रखेंगे। उन्हें खुला नहीं छोड़ेंगे। इससे सड़क किनारे घूमने वाले पशुओं की संख्या में कमी आएगी। आवारा पशुओं के लिए सड़क किनारे ही गौ-आश्रय तैयार कराने की सिफारिश की गई है। जहां चरवाहे उनकी देखभाल करेंगे। उनसे भी सरकार गोबर खरीदेगी। इस गोबर को गौशालाओं में प्रोसेस किया जाएगा।
यह होगा गोबर का इस्तेमाल
गौ-शालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोबर को प्रोसेस करने के गोबर गैस प्लांट लगाए जाएंगे। इनसे बायो-सीएनजी बनाई जाएगी। दूसरा प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जाएगा। इसे सरकार बिल्डिंगों की पुताई में उपयोग करेगी।तीसरा फास्फेट युक्त जैविक खाद और केंचुएं की मदद से खाद बनाई जाएगी। इसे किसानों को सब्सिडी पर उपलध कराया जाएगा।
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