भोपाल। कर्ज और आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही मप्र सरकार लेखानुदान के बजाय वित्तीय वर्ष 2020-21 का पूर्ण बजट ही अध्यादेश के जरिए पारित कराएगी। यह लगभग दो लाख करोड़ रुपए का हो सकता है। वित्त विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। वर्तमान आर्थिक हालातों के चलते सरकार कई विभागों के बजट में कटौती करेगी। जबकि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग के बजट में बढ़ोत्तरी की जाएगी। ज्ञात हो कि विधानसभा के पावस सत्र में बजट पारित किया जाना था। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण सत्र स्थगित करना पड़ा है। ऐसे में सरकार को आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए अध्यादेश से बजट लाना पड़ रहा है। चार महीने में यह दूसरा मौका है जब राज्य सरकार विधानसभा से पूर्ण बजट पारित नहीं करा पाई।
दोबारा लेखानुदान नहीं लाएगी सरकार
मार्च 2020 में राजनीतिक कारणों से बजट पारित नहीं हुआ और सरकार को एक लाख 6600 करोड़ का लेखानुदान लाकर अपने खर्चे चलाना पड़े, जबकि अब कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण ऐनवक्त पर विधानसभा सत्र स्थगित करना पड़ा। अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार दोबारा लेखानुदान लाएगी, पर ऐसा नहीं है। सरकार पूर्ण बजट ला रही है। इसमें मार्च में लाए गए लेखानुदान की राशि एक लाख 6600 करोड़ रुपये मर्ज रहेगी। वित्त विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। 31 जुलाई से पहले बजट प्रदेश के प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से अनुमोदित कराया जाएगा, जबकि नवंबर-दिसंबर में संभावित शीतकालीन सत्र में विधानसभा से अनुमोदन लिया जाएगा। प्रदेश में ऐसे बहुत कम अवसर आए हैं, जब अध्यादेश के जरिए पूर्व बजट लाया गया हो। ज्ञात हो कि मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार ने दो लाख 40 हजार करोड़ के लगभग बजट की तैयारी की थी, क्योंकि पिछले वित्तीय वर्ष में शिवराज सरकार ने दो लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपए का बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया था।
कई विभागों के बजट पर चलेगी कैंची
शराब, रेत सहित अन्य खनिजों से मिलने वाले राजस्व में कटौती होने से सरकार का गणित गड़बड़ा गया है। इसका असर बजट पर भी दिखाई देगा। सरकार कोरोना संक्रमण के रोकथाम की तैयारी और उससे जुड़े अन्य कार्यों के लिए ज्यादा बजट देगी। स्वास्थ्य विभाग के बजट में भी बढ़ोत्तरी की जाएगी, जबकि कोरोना से जुड़े अन्य कार्यों के लिए भी ज्यादा बजट दिया जाएगा। वहीं अन्य विभागों के बजट में कटौती होगी। इसमें खासकर वे योजनाएं प्रभावित होंगी, जो कम लोगों को प्रभावित करती हों। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन अवधि में दुकान बंद रहने सेशराब ठेकेदारों ने 3605 में से 1700 से ज्यादा दुकानें छोड़ दी हैं, जिससे सरकार की आमदनी प्रभावित हुई है।
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