भोपाल। ताजा सीजन में एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीदी का आंकड़ा 11.14 मिलियन टन पर पहुंच गया है। 19 अप्रैल तक की अवधी में बीते वर्ष की तुलना में गेहूं की सरकारी खरीदी 12 प्रतिशत ज्यादा दर्ज हुई है। बीते साल इसी अवधि में 9.98 मिलियन टन सरकारी खरीद हुई थी। सबसे ज्यादा वृद्धि मप्र और हरियाणा में हो रही है। एफसीआई के अनुसार मप्र में 66 प्रतिशत बढ़कर खरीदी का आंकड़ा 3.20 मिलियन टन पहुंच गया है। प्रदेश में 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हरियाणा में 21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.87 मिलियन टन, उत्तर प्रदेश में48 प्रतिशत की वृद्धि के साथ खरीद का आंकड़ा 63 हजार 29 टन पर पहुंच गया है, जबकि पंजाब में खरीदी कमजोर है और आंकड़ा 17 प्रतिशत नीचे जाकर 3.99 मिलियन टन रह गया है।
वहीं पंजाब अब तक सेंट्रल पूल में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला राज्य रहा है। एक अप्रैल से ताजा खरीद सीजन शुरू हुआ है। बीते साल निर्यात की भारी मांग के कारण सरकारी खरीद कमजोर रही थी। सिर्फ 18.8 मिलियन टन ही गेहूं खरीदा गया था। खास बात है कि सरकारी खरीदी में अब तेजी आ रही है। मप्र में ही सरकारी खरीद का लक्ष्य 8 लाख टन निर्धारित है। ऐसे में अभी भी खरीद का जोर बना रहा है। दूसरी ओर स्थानीय मंडियों में आवक कमजोर है, जबकि भाव स्थिर बने हुए हैं। सरकार ने खरीदी में गुणवत्ता को लेकर छूट दे दी। नतीजा हुआ कि अब हल्का माल किसानों ने एमएसपी पर तुलवा दिया। कारोबारियों के अनुसार अब भी किसानों ने अच्छी गुणवत्ता वाला माल हाथ में रखा हुआ है। चमक वाले गेहूं का वे स्टाक कर रहे हैं। रोटी वाली गेहूं के दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर बने हुए हैं। हालांकि आने वाले महीनों में सरकार के द्वारा मूल्य नियंत्रण के लिए कदम उठाने का डर भी कायम है। मंडी में मिल क्वालिटी व अन्य क्वालिटी में दाम स्थिर है। आटा और रवा में ग्राहकी कमजोर होने से दाम नरम है। बेसन में भी 100 रुपये की नरमी है।
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