भोपाल। हाई कोर्ट ने आनलाइन गैम्बलिंग पर ठोस अंकुश सुनिश्चित करने के सिलसिले में राज्य शासन के लचर रवैये को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व सुनवाई के दौरान अभिवचन देने के बावजूद सरकार की ओर से आनलाइन गैम्बलिंग पर अंकुश लगाने के कानून का न तो ड्राफ्ट पेश किया गया और न ही यह बताया गया कि यह बिल विधानसभा में विचार के लिए कब रखा जाएगा। लिहाजा, निर्देश दिया जाता है कि सात दिन के भीतर ड्राफ्ट पेश किया जाए। हाई कोर्ट ने राज्य शासन का वह आवेदन निरस्त कर दिया, जिसके जरिये पूर्व में तीन माह की समय-सीमा दिए जाने का आदेश वापस लेने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने बताया था कि आनलाइन गैम्बलिंग पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने पर राज्य के वरिष्ठ सचिवों की कमेटी विचार कर रही है। यह भी कहा था कि कानून का खाका तैयार करने में तीन माह का समय लगेगा और उसके बाद विधानसभा में अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रमुख सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को निर्देश दिए कि आगामी सात दिन के भीतर उक्त तथाकथित कमेटी द्वारा तैयार ड्राफ्ट पेश करें। इसके साथ ही अधिकारी यह भी बताएं कि उक्त बिल विधानसभा में बहस और वोटिंग के लिए कब रखा जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि आगामी सुनवाई तक उक्त अधिकारियों ने हलफनामा पेश नहीं किया तो उन्हें व्यक्तिगत हाजिरी के लिए आदेश देने को बाध्य हो जाएंगे। मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
युवाओं पर पड़ रहा बुरा असर
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने अगस्त 2022 को राज्य शासन को निर्देश दिए थे कि आनलाइन गैम्बलिंग पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। हाई कोर्ट ने कहा था कि आनलाइन गैम्बलिंग से देश के युवाओं का आर्थिक, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है। इस मामले में ठोस निर्णय लेने में अब अधिक समय इंतजार नहीं किया जा सकता। सिंगरौली जिले के सनत कुमार जायसवाल की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया था। अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि सनत पर आरोप है कि उसने अपने नाना के खाते से आठ लाख 51 हजार रुपये निकाल लिए। इस रकम को उसने आइपीएल के सट्टे में लगाकर बर्बाद कर दिया।
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