भोपाल। प्रदेश सरकार ने उपभोक्ताओं को सब्सिडी बिजली बिल में बांटी, लेकिन बिजली कंपनियों को उस रकम को नहीं दिया। नतीजा बिजली कंपनी का घाटा बढ़ता जा रहा है। जिसका असर बिजली के दाम बढऩे में होगा। ये आरोप नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ.पीजी नाजपांडे ने लगाए है। उनके अनुसार बिजली के दाम बढ़ाने के लिए करीब 13 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान रोका गया है। इस मामले में मंच की तरफ से विद्युत नियामक आयोग को पत्र लिखा गया है। जिसमें उन्होंने विद्युत अधिनियम का उल्ल्घंन करार दिया है। डॉ. नाजपांडे ने कहा कि अधिनियम की धारा 65 में साफ है कि सरकार सस्ती या मुफ्त देना चाहती है तो सरकार को इस राशि का अग्रिम भुगतान बिजली कंपनियों को देना होगा। राज्य शासन ने विभिन्न योजनाओं के तहत सस्ती या मुफ्त बिजली की लगभग 16 हजार करोड़ की राशि का अग्रिम भुगतान तो किया नहीं बल्कि अब इसमें भी 13 हजार करोड़ की राशि के भुगतान पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इससे बिजली कंपनियां आर्थिक संकट में आ गई है। अब इस घाटे को भरने के लिए कंपनियों को बिजली के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।
दो हजार करोड़ का घाटा पूरा करे सरकार
सरकार बिजली कंपनी के चालू वित्तीय वर्ष 2020—21 में संभावित 2 हजार करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई करे। बिजली कंपनियों में पास वित्तीय संकट बना हुआ है इसलिए सरकार को इस राशि का भुगतान करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो इसकी वसूली आम आदमी से होगी। बिजली के दाम 5 फीसद बढ़ाकर देने का प्रस्ताव बिजली कंपनी ने दिया है।
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