इंदौर। उद्योगपतियों (industrialists) ने संगठित होकर वित्तमंत्री (Finance Minister) से मांग की कि एनजीटी के नियमों के चलते उद्योगों को शहरों से बाहर करने पर उन्हें राहत पैकेज मिलना चाहिए। जब सालों पहले उद्योग स्थापित किए गए थे, तब वो शहर के बाहर ही थे। अगर बढ़ती आबादी के कारण शहरों का विस्तार औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Area) की सीमाओं तक हो गया तो ऐसे में उद्योगपतियों की क्या गलती है। इसलिए सरकार को राहत पैकेज देना चाहिए।
इसके अलावा मध्यप्रदेश इंडस्ट्री एसोसिएशन (Madhya Pradesh Industry Association) की मांग है कि आयकर स्लैब (income tax slab) ढाई लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जाना चाहिए, क्योंकि फिनिश्ड प्रोडक्ट (finished product) की कीमतें डेढ़ से पौने दो गुना बढ़ी हैं। खरीदने की क्षमता बढ़ाने के लिए यह जरूरी है। दूसरी मांग है कि आयकर के अंतर्गत पार्टनरशिप (partnership under) एवं एलएलपी की आयकर स्लैब को कम करना चाहिए, जिस तरह पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स को कम किया गया था। तीसरी मांग के अनुसार इंपोर्ट टू एक्सपोर्ट रेशो में बदलाव होना चाहिए, साथ ही इसेंशियल कमोडिटी आयटम पर इंपोर्ट ड्यूटी कम होना चाहिए और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए नॉन-इसेंशियल कमोडिटी पर इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाया जाना चाहिए।
चौथी मांग है कि वेंचर कैपिटल को कैपिंग के साथ बढ़ाया जाना चाहिए। इससे स्टार्टअप और नए उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा। पांचवीं मांग में ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत जीएसटी आईटीआर की औपचारिकताओं को कम से कम कर उन्हें सरलीकृत किया जाना चाहिए। इससे माइक्रो व लघु श्रेणी उद्योगों जो वनमैन आर्मी की तरह काम करते हैं, को अधिक लाभ मिलेगा। छठी मांग के अनुसार एनजीटी के नियमों के कारण अब शहरी उद्योगों को कई प्रकार की समस्याएं आ रही हैं तथा उन्हें शहरी क्षेत्र से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अत: इसके लिए सरकार एक पैकेज दे तय कर ऐसे उद्योगों की मदद करे।
सातवीं व आखिरी मांग यह है कि शासकीय खरीद में 45 दिनों में भुगतान नहीं होने पर सूक्ष्म व मध्यम उद्योगों को कई वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए वित्तमंत्री से अपेक्षा है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि उद्योगपतियों द्वारा बेचे गए माल की कीमत का भुगतान 45 दिनों में हर हालत में हो जाए।
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