कुल्लू । एक देश में दो कानून कैसे चल सकते हैं। कर्मचारियों की पेंशन समाप्त ओर विधायकों व सांसदो को भारी भरकम पेंशन दी जा रही है। वर्ष 2003 में आर्थिक संकट आने के कारण केंद्र सरकार द्वारा पेंशन समाप्त करने की अधिसूचना जारी कर दी। जिन कर्मचारियों को 25 से 50 हजार रुपये पेंशन मिलनी थी, उन कर्मचारियों को 500 से 2500 रुपये पेंशन मिल रही है। केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों पर 2008 में यह स्कीम लागू कर दी। जिसके रुझान अब आने शुरू हो गए हैं। यह बात पूर्व सांसद डॉक्टर राजन सुशांत ने सोमवार को कुल्लू में पत्रकारों से कही।
पूर्व सांसद ने कहा जब देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था तो विधायकों व सांसदों की पेंशन किस लिए जारी रखी गई। एक दिन के विधायक को भी 80 हजार रुपये पेंशन का प्रावधान है जो कि आम जनता के साथ अन्याय है। वर्ष 2003 के बाद बने विधायकों की भी पेंशन बन्द करनी चाहिये। एन पी एस के दायरे में विधायक व सांसदों को लिया जाए।
पूर्व सांसद ने कहा सरकार एक सप्ताह के बीच ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करे वरना पांच सितंबर को धर्मशाला में दो घण्टे का सांकेतिक धरना दिया जाएगा। उन्होंने कहा थर्ड फ्रंट ने संघर्ष का बिगुल बजा दिया है।
उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि इस संकट के दौर में बोर्डों के चेयरमैन, उपाध्यक्षों के त्यागपत्र क्यों नहीं लिए जा रहे। इन की गाड़ियों व कोठियों पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं हिमाचल परिवहन निगम के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रदेश के लोगों के समक्ष आ रही परेशानियों का समाधान किया जाए अन्यथा महामहिम राज्यपाल के पास जा कर मुख्यमंत्री त्यागपत्र दे दें।
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