उज्जैन। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा लागू की गई एक शाला-एक परिसर योजना के चलते उज्जैन सहित पूरे जिले भर में सरकारी स्कूलों की संख्या सिमट गई है। अर्थात स्कूल कम कर दिए गए हैं क्योंकि एक ही स्कूल परिसर में कक्षा 6 से लगाकर 10 वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही है। कुल मिलाकर शिक्षकों पर भी अतिरिक्त रूप से पढ़ाई कराने का बोझ लाद दिया गया है। विभाग के अधिकारियों की यदि माने तो यह योजना सफल तो है लेकिन स्कूलों में अन्य स्कूलों में पहले से पदस्थ शिक्षकों को परेशानी भी आ रही है। जिला शिक्षा अधिकारी गिरीश तिवारी ने बताया कि योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप बड़ी संख्या में माध्यमिक विद्यालय एवं हाईस्कूल जो पूर्व में पृथक-पृथक संचालित थे, अब एकीकृत रूप से संचालित हैं में एवं इनमें कक्षा 6वीं से 10वीं की पठन पाठन गतिविधियां की जा रही है। हर सहित पूरे जिले में इस योजना के लागू होने के बाद लगभग पांच सौ स्कूल मर्ज हुए हैं। कुल 2300 स्कूल थे लेकिन अब स्कूलों की संख्या 1772 हो गई है।
कुल मिलाकर 140 स्कूल एकीकृत किये गए हैं। अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त एकीकृत व्यवस्था लागू होने से माध्यमिक और हाईस्कूल में पूर्व से पदस्थ शिक्षक अब एकीकृत विद्यालयों के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। एकीकृत विद्यालयों में कार्यरत ऐसे समस्त शिक्षकों द्वारा कक्षा 06वीं से 10वीं तक की कक्षाओं का समान रूप से अध्यापन कराया जायेगा। पूर्व प्रावधान अनुसार माध्यमिक विद्यालयों में न्यूनतम 3 शिक्षक एवं हाईस्कूल में न्यूनतम 6 शिक्षकों के स्थान पर अब ऐसी एकीकृत (6 से 10) शालाओं में न्यूनतम 06 शिक्षक ही उपलब्ध होंगे। एकीकृत शालाओं में जहाँ व्याख्याता / उच्च माध्यमिक शिक्षक पदस्थ है उनके द्वारा कक्षा 6वीं से 12वीं तक की कक्षाओं में अध्यापन कार्य किया जाएगा। आशय यह है कि व्याख्याता / उच्च माध्यमिक शिक्षकों द्वारा उनके विषय की 11वीं तथा 12वीं कक्षाओं के अध्यापन के अतिरिक्त विद्यालय की शैक्षणिक आवश्यकता के अनुसार कक्षा 6वीं से 10वीं तक की कक्षाओं में भी अध्यापन कार्य किया जाएगा।
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