उज्जैन। बीते चार-पांच दिनों में शहर सहित प्रदेश के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि से हजारों हैक्टेयर में नुकसान हुआ है। इस नुकसान का आकलन करने के लिए कृषि और राजस्व विभाग की टीमें सर्वे कर रही हैं। ये टीमें नेत्रांकन (आंखो देखी) के हिसाब से मूल्यांकन करके रिपोर्ट देंगीं। इस रिपोर्ट के आधार पर तीन कैटेगरी में राहत राशि तय की जाएगी। जबकि जिन किसानों के रकवे में गेहूं का फसल कटाई प्रयोग नहीं हुआ है, वहां अगर किसान बीमित है तो 72 घंटे में क्लेम नहीं किया होगा तो बीमा राशि हासिल करने मेें तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ेगा। अगर समय पर क्लेम कर दिया होगा तो बीमा कंपनी का सर्वेयर अलग से सर्वे करेगा जिसके हिसाब से प्रति हैक्टेयर 30 हजार रुपए क्लेम तय हो सकेगा। जानकारी के अनुसार सरकारी मुआवजा कई पैमानों पर तय होगा। आपदा में नुकसान का आकलन आरबीसी 6/4 गाइडलाइन के अनुसार होता है।
कृषि और राजस्व विभाग की टीम के नेत्रांकन और मूल्यांकन के आधार पर क्षतिपत्रक बनता है। क्षतिपत्रक के आधार पर यदि नुकसान निकलता है तब मुआवजा की राशि देय होती है। पहले 18 हजार, फिर 30 हजार रुपए और वर्तमान में 32 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर मुआवजा निर्धारित है। मुआवजा या राहत राशि देने के लिए सरकार ने किसानों की तीन कैटेगरी तय की हैं। एक हैक्टेयर तक का किसान लघु, दो हैक्टेयर तक का किसान सीमांत और दो हैक्टेयर से अधिक रकवे में खेती कर रहे बड़े किसान कहलाते हैं। लघु और सीमांत किसान को छोटा कृषक मानकर अधिक मुआवजा या राहत राशि मिलती है, जबकि बड़े किसान को कम दर पर मुआवजा राशि की दर लगती है। किसान के खेत में पांच गुणा पांच वर्ग मीटर का प्लॉट बनाकर फसल के पकने पर कटाई प्रयोग किया जाता है। चिन्हित क्षेत्र में कटाई प्रयोग होने के बाद जितनी फसल निकलती है, उसके हिसाब से पूरे खेत के उत्पादन का औसत आकलन किया जाता है।
यह है कैटेगरी जिनमें मिलती है राहत
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