भोपाल। अन्न भले ही प्रदेश का किसान उगाता है, लेकिन अन्नदाता के रूप में मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार सामने आई है। बात इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सालाना 128 लाख मिट्रिक टन से अधिक गेंहू उर्पाजित करने वाले इस राज्य में 61 प्रतिशत आबादी का पेट सरकारी राशन भरता है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से इतर यदि पात्रता पर्ची वाले करीब 40 लाख लोगों को इसमें और जोड़ लिया जाय, तो कुल जरूरतमंद आबादी का यह प्रतिशत 67 तक पहुंच जाता है। क्योंकि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत प्रदेश में खाद्य सुरक्षा के अंतगर्त करी 4 करोड़ 63 लाख आबादी दर्ज है। जिन्हें सरकार द्वारा मौजूदा समय पर करीब 5 किलो प्रति माह की दर से अनाज मुहैया कराया जा रहा है। इसके अलावा 40 लाख गरीब परिवारों को मुफ्त राशन के लिये राज्य सरकार ने चिंहित किया है। इनको पात्रता पर्ची के माध्यम से पेट भरने के लिये अनाज पहुंचाया जा रहा है। खाद्य वितरण व्यवस्था से जुड़े आधिकारियों की माने तो इसके मद्देनजर प्रतिमाह लगभग 2 लाख 93 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न की जरूरत पड़ती है।
इनको 25 हजार 435 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। बीते दिनों सरकार द्वारा आयोजित अन्न उत्सव समारोह भी आयोजित किया गया था। जिसमें प्रदेश के 1 करोड़ 15 लाख परिवारों को इस योजना के माध्यम से लाभांवित किया गया है। सभी 52 जिलों में आयोजित इस कार्यक्रम में मंत्री, सांसद एवं विधानसभा सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित की गई थी।
पड़ोसी उत्तरप्रदेश की स्थिति खराब
मप्र के पड़ोसी राज्यों में उत्तरप्रदेश की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। क्योंकि यहां पर 14 करोड़ से अधिक लोग राष्ट्रीय खाद्य़ सुरक्षा के दायरे में है। केंद्र सरकार के एक आंकड़े के मुताबिक मप्र में यह संख्या 4 करोड़ 63 लाख में सिमट जाती है। हालांकि महाराष्ट्र में यह संख्या 6.26 करोड़ है। बावजूद इसके इस मामले में राजस्थान 4.25 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 1.96 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य़ सुरक्षा के तहत राशन के लिये सरकार पर निर्भर मिले है।
10 जिलों में रहते हैं 30 प्रतिशत जरूरतमंद
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लाभांवित कुल परिवारों में 29.82 प्रतिशत सिर्फ 10 जिलों में मिले हैं। इनमें सागर जिला सबसे गरीब मिला है। जहां जरूरतमंदों की संख्या 17.14 लाख से ज्यादा है। रीवा 16.30 लाख के साथ दूसरे नंबर पर है और 15.57 लाख के साथ सतना तीसरे नंबर पर शामिल है। इसके बाद छिंदवाड़ा 15.52, धार 15.39, खरगोन 14.26, बालाघाट 13.59, भोपाल 13.25, जबलपुर 13.22 और इंदौर 13.17 लाख लोग सरकारी खाद्यान के मुहजात मिले है।
उत्पादन बढ़ा लेकिन बनी हुई है अन्न की जरूरत
राज्य में रोटी के लिये जरूरतमंदों की संख्या का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यह सरकार के लिये चिंता का विषय इसलिये भी है, क्योंकि बीते कई वर्षों में खाद्यान उत्पादन व उपार्जन में मप्र ने देश में कीर्तिमान गढ़े हैं। हालांकि इस संबंध में कोई ठीक-ठीक यह बताने को तैयार नहीं है कि जब प्रदेश करीब 128 मिट्रिक टन से अधिक गेंहू खरीदी और 37 लाख 36 हजार मीट्रिक टन धान सालाना उपार्जित करने वाले साढ़े सात करोड़ की आबादी वाले राज्य में करीब 5.30 करोड़ सरकारी राशन पर क्यों निर्भर है। जबकि 1 करोड़ 3 हजार 135 आबादी बतौर किसानी देश के दूसरे राज्यों का भी पेट भर रही हैं।
आपके द्वार पहुंचेगा 16 हजार 944 मीट्रिक टन खाद्यान्न
मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम योजना के तहत प्रदेश के 16 जिलों के 74 आदिवासी विकासखण्डों में 16 हजार 944 मीट्रिक टन खाद्यान्न का प्रतिमाह वितरण किया जायेगा। बीते दिनों जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका शुभारंभ किया है। इसमें 6 हजार 575 ग्रामों के 7 लाख 43 हजार परिवारों को खाद्यान्न वितरण का लाभ मिलेगा।
गरीबी के शिकार हैं अधिकांश जिले
प्रदेश के अधिकांश जिले गरीबी के शिकार हैं। इसका खुलासा बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट में राज्य के बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मुख्य रूप से परिवार की आर्थिक हालात और अभाव की स्थिति को सामने रखकर नीति आयोग कर चुका है। प्रदेश के संपन्न व बड़े शहरों में सुमार इन जिलों से इतर अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, डिंडौरी जैसे जिले ही नहीं विंध्य प्रदेश के सीधी और सिंगरौली में 71.31 से 52.68 प्रतिशत तक की आबादी को गरीब बताया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 71.31 प्रतिशत लोग अलीराजपुर में मिले हैं।
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