भोपाल। मध्यप्रदेश में आबकारी विभाग का कंपोजिट शॉप मॉडल से लागू होने के बाद शराब की बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि आई है। शहर में नई नीति से शराब पीने के शौकीन भी बढ़े हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पिछले साल की तुलना में बीयर ने 165 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि देसी शराब की खपत 100 प्रतिशत और विदेशी शराब में 57 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। आबकारी विभाग ने वर्ष-2021-22 में शराब नीति में बदलाव किया था। वर्ष 21-22 में जो लाइसेंस दिए थे उसमें अंग्रेजी शराब दुकानों में देसी और देसी दुकानों में अंग्रेजी और बीयर को बेचने की अनुमति दी थी। पिछले की तुलना में अभी नवंबर तक बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश सरकार अब महुआ फैक्ट्री खोलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए खंडवा जिले के अंतर्गत आने वाले खालवा में महुआ शराब फैक्ट्री खोलने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में वन मंत्री विजय शाह ने फैक्ट्री खोलने की पहल की है। उन्होंने लघु वनोपज संघ के डेवलपमेंट फंड से वाइन फैक्ट्री खोलने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। वन मंत्री ने इसके लिए 4 से 5 करोड़ रुपए देने की बात भी कही है। मंगलवार को मंत्रालय में हुई विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री द्वारा इस विषय पर जोर दिया गया है। वहीं, दूसरी तरफ वन मंत्री विजय शाह द्वारा सरकार को दिए गए महुआ फैक्ट्री खोलने के सुझाव का मध्य प्रदेश कांग्रेस ने विरोध भी शुरु कर दिया है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने कहा कि, बीजेपी के मंत्री की संस्कृति और मानसिक विकृति है। जनता के टैक्स के पैसों से शराब की फैक्ट्री लगाना दिवालियापन है। शराब पर हाय तौबा मचाने वाली सरकार, कर कुछ रही है और बोल कुछ और रही है। बीजेपी के मंत्री अहंकार से भरे हैं, इसलिए बस सिर्फ ऊल – जलूल काम किये जा रहे हैं।
सरकार की आबकारी नीति पर भी बोला हमला
यही नहीं विधायक लखन घनघोरिया ने सरकार की आबकारी नीति पर भी हमला बोलते हुए कहा कि, शराब बेचने वाले को बरी कर दिया जाता है और पीने वाले को आरोपी बनाया जाता है। शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का 10-10 हजार का चालान काटा जाता है। सिर्फ सरकार जेब भरने में जुटी है। सबसे ज्यादा शराब दुकान बीजेपी के शासन काल में ही खोली गई हैं। बीजेपी सरकार की प्राथमिकता में ही शराब है।
सरकार चोरी भी करा रही है और कारर्वाई भी
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि, सरकार चोरी और कार्रवाई दोनों ही करवा रही है। पुलिस के सारे बड़े आधिकारियों को वसूली का टारगेट दिया जाता है। सरकार पहले शराब का लाइसेंस देती है फिर कार्रवाई के नाम पर वसूली करती है।
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