नई दिल्ली । केंद्र सरकार (Central government) नए साल से ज्वेलरी (Jewellery) बनाने में उपयोग किए जाने वाले सोना सर्राफा (गोल्ड बुलियन) पर भी हॉलमार्किंग (Hallmarking) अनिवार्य करने जा रही है। इसे चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू किया जाएगा। इस मामले से जुड़े सभी हितधारकों ने इस प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। गौरतलब है कि गोल्ड बुलियन का इस्तेमाल आभूषण निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है। अभी इस पर हॉलमार्किंग जरूरी नहीं है। इस नए नियम से सोने में मिलावट पर पूरी तरह से लगाम लग सकती है।
ग्राहकों की लंबे समय से मांग रही है कि स्वर्ण आभूषण की गुणवत्ता तभी सुनिश्चित की जा सकती है, जब बुलियन को हॉलमार्क किया जाए। इसको लेकर काफी समय से परामर्श प्रक्रिया चल रही थी। गोल्ड बुलियन हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद रिफाइनर्स को आयातित सोने की गुणवत्ता पता चल पाएगी।
जल्द नियम तय होंगे
सोना सर्राफा (गोल्ड बुलियन) पर हॉलमार्किंग को लेकर बनी समिति ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस साल के अंत तक सभी प्रक्रियाएं पूरी होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि दिसंबर तक इसके नियम तक कर दिए जाएंगे।
ग्राहकों को यह होगा फायदा
हॉलमार्क वाले बुलियन से देश में बनने सोने के आभूषणों की शुद्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। उपभोक्ताओं यह जान पाएंगे आभूषण बनने से पहले सोना कितना खरा था। और आभूषण बनने के बाद उसकी गुणवत्ता में कितना अंतर आया है।
हॉलमार्किंग में शुद्धता
22 कैरेट 916 में (91.6% शुद्धता)
18 कैरेट 750 (75% शुद्धता)
14 कैरेट 585 (58.5% शुद्धता)
हॉलमार्किंग यहां पहले से लागू
सोने की शुद्धता और सुंदरता को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को हॉलमार्किंग कहा जाता है। भारतीय मानक ब्यूरो ने पहले ही 14 कैरेट, 18 कैरेट, 22 कैरेट, 23 कैरेट और 24 कैरेट से बने आभूषणों और कलाकृतियों पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया हुआ है। यह नियम वर्ष 2022 से ही लागू है। यह कदम सोने की खरीदारी सुरक्षित बनाने और ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए उठाया गया है।
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