नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (DoT) ने एकीकृत लाइसेंस समझौते में संशोधन किया है और दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ अन्य सभी दूरसंचार लाइसेंसधारियों को एक बड़ा आदेश दिया है। विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को दो साल तक लोगों के कॉल रिकॉर्ड का डाटा रखने का आदेश दिया है। सूत्रों के मुताबिक यह अतिरिक्त समय कई सुरक्षा एजेंसियों के अनुरोधों के बाद बढ़ाया गया है। फिलहाल कॉल रिकॉर्ड डाटा को 18 महीने के लिए सेव रखा जाता है।
21 दिसंबर को एक अधिसूचना के माध्यम से दूरसंचार विभाग ने कहा है कि सभी कॉल विवरण रिकॉर्ड, एक्सचेंज विवरण रिकॉर्ड और नेटवर्क कम्युनिकेशन आईपी का रिकॉर्ड दो साल के लिए सेव करके रखा जाए। यह सुरक्षा के लिहाज से उचित है। अधिसूचना में कहा गया है कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को दो साल की अवधि के लिए सामान्य आईपी विवरण रिकॉर्ड के अलावा “इंटरनेट टेलीफोनी” का विवरण भी रखना होगा।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह एक प्रक्रियात्मक आदेश है। कई सुरक्षा एजेंसियों ने हमें बताया कि उन्हें एक साल बाद भी डाटा की जरूरत पड़ती है, क्योंकि अधिकतर मामलों में जांच लंबे समय तक चलती है। इस आदेश के लिए हमने सभी सेवा प्रदाताओं के साथ एक बैठक की।’
इस आदेश पर एक टेलीकॉम कंपनी के अधिकारी ने कहा कि जब भी इस तरह के डाटा को खत्म किया जाता है तो उससे पहले उस डाटा से संबंधित ऑफिस और ऑफिसर दोनों को इसकी जानकारी दी जाती है। जानकारी देने के अगले 45 दिनों के बाद डाटा डिलीट कर दिया जाता है।
एक अन्य दूरसंचार कंपनी के अधिकारी ने कहा कि इस डाटा को दो साल तक रखने के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं होंगे, क्योंकि यह डाटा टेक्स्ट रूप में स्टोर किया जाता है, ऐसे में बहुत अधिक जगह की जरूरत नहीं होती। इस डाटा में सबसे अधिक है जिसने कॉल किया और कॉल की अवधि क्या थी की जानकारी रहती है।
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