मुरैना। ग्वालियर चम्बल (Gwalior Chambal) संभाग में नागरिक विमानन विभाग के निजी हवाई अड्डे (private airport) की दशकों से चली आ रही दरकार पूर्ण होने की संभावनाऐं दिखाईं दे रहीं हैं। मुरैना जिले के 3 स्थानों पर विमानन व वायुसेना के संयुक्त पांच सदस्यीय दल ने तीनों क्षेत्रों का भ्रमण कर बारीकी से अध्ययन किया है। इसका प्रतिवेदन आगामी पखवाड़े के दौरान विमानन व वायुसेना विभाग को सौंप दिया जायेगा। वर्तमान में वायु सेना के हवाई अड्डे का उपयोग विमानन विभाग द्वारा ग्वालियर में किया जा रहा है। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया ने नागरिक उड्डयन मंत्री बनते ही वायु सेवाओं के विस्तार की पहल आरंभ कर दी है। इसके तहत ग्वालियर मुरैना में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा निर्मित कराने का प्रयास शुरू किया गया है।
भारत सरकार के दल ने मुरैना के तीन स्थानों मुडियाखेड़ा गांव की समतल जमीन, चम्बल के बीहड़, करहधाम आश्रम के सामने पथरीली पहाडिय़ों की भूमि तथा ग्वालियर महाराजपुरा पर स्थित आलू अनुसंधान केन्द्र एवं घाटीगांव मोहना का जंगली क्षेत्र की भूमि को चिन्हित किया था। इन पांच स्थानों की जानकारी राजस्व विभाग के साथ दल में आये अधिकारियों द्वारा ली गई है। भारतीय वायु सेवा निदेशक एके मीना ने अवगत कराया कि आगामी कुछ समय के दौरान अपना प्रतिवेदन सौंपा जायेगा। पूर्ण जांच व नियम के बाद निर्णय लिया जावेगा कि हवाई अड्डा कहा बनाया जाना है। पूर्व मंत्री गिर्राज डण्डौतिया ने बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्री देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा अंचल मेें निर्मित करना चाहते हैं, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। इस हवाई अड्डे के लिये 600 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता बताई जा रही है। इस भूमि के चयन के लिये दल चिन्हित जमीनों का निरीक्षण कर रहे हैं।