भोपाल। देश में न्यायिक प्रक्रिया में देरी को लेकर सरकार ने दंड कानूनों में संशोधन की तैयारी कर ली है। इसको लेकर सभी राज्यों से दंड कानूनों में संशोधन के लिए सुझाव बुलाए हैं। जिसमें कमजोर वर्गों के लिये त्वरित न्याय सुनिश्चित करने, आम नागरिकों का जीवन सुगम बनाने के लिये वर्तमान आपराधिक विधियों जैसे भारतीय दण्ड संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता, शस्त्र अधिनियम तथा नारकोटिक्स एक्ट कानूनों में संशोधन किया जाना है। राज्य शासन द्वारा भारत सरकार (गृह मंत्रालय) के निर्देशानुसार आपराधिक विधियों में सम्यक संशोधन के लिये अंतर्विभागीय समिति का गठन किया गया है। समिति में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, गृह अध्यक्ष होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विकास, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव वाणिज्य कर, प्रमुख सचिव विधि और संचालक लोक अभियोजन समिति में सदस्य होंगे। सचिव गृह विभाग समिति के सदस्य सचिव होंगे।
समिति तीन महीने में पेश करेगी अनुश्ंासा
विधि एवं व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं कमजोर वर्गों के लिये त्वरित न्याय सुनिश्चित करने तथा आम नागरिकों का जीवन सुगम बनाने के लिये वर्तमान आपराधिक विधियों जैसे भारतीय दण्ड संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता, शस्त्र अधिनियम तथा नारकोटिक्स एक्ट पर विचार-विमर्श कर उसमें सम्यक संशोधन किया जाना है। पुलिस एवं लोक व्यवस्था संविधान की अनुसूची-7 में राज्य संबंधी विषय है। अत: केन्द्र शासन ने राज्य सरकारों से सुझाव आमंत्रित किये हैं। सुझाव देते समय यह ध्यान देना उचित होगा कि पुनरीक्षित कानून जनता की लोकतांत्रिक अपेक्षाओं के अनुरूप हो और महिलाओं तथा बच्चों एवं समाज के कमजोर वर्गों को त्वरित न्याय दिलाने में सक्षम हो एवं आम नागरिकों का जीवन सुगम हो सके। समिति अपनी अनुशंसा तीन माह में प्रस्तुत करेगी।
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