जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। उन्नीस बागी विधायकों की याचिका को लेकर उच्च न्यायालय का कोई भी फैसला हो, कांग्रेस सरकार सुरक्षित रहेगी। बहुमत उनके पास पहले भी था, अब भी है। ये विधानसभा सदस्यता का मामला है। कानून के मुताबिक अगर कोई पार्टी के साथ नहीं रहना चाहता तो सदस्यता खत्म कर दी जाती है। तकलीफ में वो लोग हैं, जो उच्च न्यायालय की शरण में गए हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने एक चैनल को दिये साक्षात्कार में ऑडियो टैपिंग मामले पर सरकार पर लग रहे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि राजस्थान में गैरकानूनी सर्विलांस की परंपरा नहीं है। मैं तो खुद केन्द्र सरकार पर इस तरह के आरोप लगाते हुए फोन टैपिंग का विरोध करता रहा हूं।
साक्षात्कार के दौरान गहलोत ने पूर्च उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को नाकारा, निकम्मा कहने पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने यह बात उनके संगठन संचालन के संदर्भ में कही थी। जिस तरह से पायलट ने संगठन चलाया, वह बात उस संदर्भ में थी। उन्होंने कहा कि पायलट का ध्यान संगठन चलाने में नहीं बल्कि मुख्यमंत्री बनने में था। पायलट ऐसे पहले अध्यक्ष हैं, जिन्होंने आते ही कहा था कि वे मुख्यमंत्री बनने आए हैं। 40 साल राजनीति करनी है। नेता और कार्यकर्ता तय कर लें कि उन्हें किसके साथ रहना है पायलट ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल कार्यकर्ताओं से पांच साल तक किया गया। राजस्थान में संगठन के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ इसलिए संगठन के संदर्भ में उन्होंने यह बात कही।
गहलोत ने कहा, पायलट जबसे पार्टी में आए हैं, उन पर विश्वास किया गया। तीस साल की उम्र में केंद्र में मंत्री बन गए। छत्तीस साल की उम्र में वो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन गए। चालीस साल की उम्र में डिप्टी सीएम बन गए। पार्टी ने उनपर बहुत विश्वास किया था, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा उन्हें यहां तक ले आई है। आदमी जब गुस्से में होता है तो ऐसी बातें निकल जाती हैं। पार्टी का मुखिया ही सरकार गिराने की साजिश में शामिल हो तो गुस्सा आना स्वाभाविक है। व्यक्तिगत रूप से वे आज भी पायलट से स्नेह करते हैं। किसी को महसूस नहीं होने दिया कि हमारे बीच मतभेद हैं। पायलट के पार्टी में वापस आने पर गले लगाने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि अगर पार्टी हाइकमान फैसला कर देते हैं तो उनका फैसला हम सबको मान्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के समय से ही ऐसा माहौल बना दिया गया कि पार्टी में दो पावर सेंटर हैं। उस वक्त भी पार्टी के मुखिया राहुल गांधी ने दोनों से बात की थी और कहा था कि आप दोनों मिलकर काम करें। लेकिन वे ऐसे हो गए थे, जैसे पहचानते ही नहीं हैं। डेढ़ साल से बात नहीं हुई है।
गहलोत ने कहा कि वे मानते है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद मुख्यमंत्री से भी बड़ा होता है। अध्यक्ष मुख्यमंत्री से भी अलग होते हैं। जब पायलट आते थे तो वे खुद खड़े हो जाते थे, जिससे लोग संगठन का महत्व समझें। क्योंकि, जब वे खुद युवावस्था में प्रदेश अध्यक्ष बने थे, उस वक्त के बुजुर्ग नेताओं ने उन्हें सम्मान दिया था। उनकी जिम्मेदारी थी कि आगे की पीढ़ी को भी ये सिखाऊं।
सीएम ने कहा, मैं जनता का सेवक ही रहना चाहता हूं, मैं जब सोचता हूं तो बहुत भावुक हो जाता हूं, क्योंकि मैं माली कम्युनिटी का एक कार्यकर्ता हूं। मेरी कोई बहुत बड़ी मार्शल कौम नहीं है। जाति धर्म को साथ लेकर चलता हूं। 36 ही कौम मुझे प्यार करती है। मुझे 40 साल से जनता का आशीर्वाद मिल रहा है। हिन्दुस्तान के गिने चुने लोग होंगे जिनको जनता का इतना आशीर्वाद मिलता होगा।
उन्होंने इस बात पर नाराजगी प्रकट की कि आज कोरोना महामारी के दौरान इस तरह की राजनीतिक स्थिति बन गई है। लेकिन इसके बावजूद जनता को विश्वास है कि ये व्यक्ति जिसकी सरकार को गिराने का षड़यंत्र हो रहा है, तब भी हमारी सेवा करने के लिए 24 घंटे चिंता करता है। इसलिए मैंने कहा मैं थांसूं दूर नहीं हूं। कुछ भी हो जाए मैं राजनीति अंतिम सांस तक करूंगा। गांधीजी ने कहा था जो व्यक्ति पंक्ति के अंतिम में खड़ा है, उस व्यक्ति तक अपनी सोच रखो। इसी सोच के साथ में राजनीति करता आया हूं और करता रहूंगा। (एजेन्सी, हि.स.)
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