काबुल. अफगानिस्तान में आधिकारिक तौर पर तालिबान के कब्जे की घोषणा बाद वहां रहने वाले भारतीय डर गए हैं. अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालने के लिए सरकार ने आकस्मिक प्लान बनाया है. अधिकारियों ने बताया कि सरकार काबुल में भारतीय दूतावास के अपने कर्मचारियों और भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डालेगी और जरूरत पड़ने पर आपात स्थिति में उन्हें बाहर निकालने के लिए योजनाएं बना ली गयी हैं.
सरकारी सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक भारत सरकार अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे घटनाक्रमों पर करीबी नजर रख रही है. हम काबुल में भारतीय दूतावास में अपने कर्मचारियों की जान खतरे में नहीं डालेंगे.’’ यह पूछने पर कि काबुल में भारतीय कर्मचारियों और नागरिकों को कब निकाला जाएगा, इस पर उन्होंने कहा कि जमीनी हालात को देखते हुए फैसले लिए जाएंगे.
भारतीय वायुसेना का विमान है तैयार
समझा जाता है कि भारतीय वायु सेना के सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर के एक बेड़े को लोगों तथा कर्मचारियों को निकालने के लिए तैयार रखा गया है. काबुल से प्राप्त खबरों के अनुसार, तालिबान के लड़ाकों ने शहर के बाहरी इलाकों में प्रवेश कर लिया है जिससे निवासियों में डर और घबराहट पैदा हो गयी है. पिछले कुछ दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है. उसने कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहरों समेत 34 में से 25 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा जमा लिया है.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने छोड़ा पद
तनावपूर्ण हालातों के बीच खबर आ रही है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा जल्द ही कि जाएगा. बताया जा रहा है कि तालिबान ने सत्ता साझा करने का ऑफर ठुकरा दिया है और राष्ट्रपति गनी को बाहर का रास्ता दिखाया है. अफगान मीडिया के अनुसार अशरफ गनी की जगह अली अहमद जलाली को अंतरिम सरकार का नया प्रमुख बनाया गया है. जलाली जर्मनी में अफगानिस्तान के राजदूत रह चुके हैं.
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