इंदौर। शासन ने निर्णय लिया है कि सभी जिलों में जो फिजूल सरकारी जमीनें, सम्पत्तियां हैं उनका प्रबंधन नए सिरे से किया जाए, जिसमें व्यवसायिक उपयोग भी शामिल रहेगा। पूर्व में शासन पीपीपी मॉडल पर इस तरह के प्रयोग कर चुका है, जो ज्यादा सफल साबित नहीं हुए। अब इसी कड़ी में सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे फिजुल पड़ी सभी सरकारी जमीनों को चिन्हित कर उनकी विस्तृत जानकारी पोर्टल पर अपलोड करे। शासन ने ऐसी सम्पत्तियों के प्रबंधन का जिम्मा मध्यप्रदेश सडक़ विकास निगम को सौंपने का निर्णय भी लिया है, जिसके चलते इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने कमेटी का गठन भी कर दिया और इस तरह की सरकारी जमीनें, सम्पत्तियों की जानकारी सभी विभागों से जुटाई जा रही है।
मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन ने प्रदेश के सभी कलेक्टर्स का निर्देश दिये है कि वे अपने जिले में विभागों के अधिपत्य में अनुपयोगी शासकीय परिसम्पतियों के प्रबंधन हेतु चिन्हांकन एवं पोर्टल पर इंद्राज करें। राज्य शासन के अंतर्गत विभिन्न विभागों तथा एजेंसियों के अधिपत्य में महत्वपूर्ण शासकीय परिसम्पत्तियां हैं। नवीन अधोरचना के विकास के फलस्वरूप ऐसी अनेक शासकीय परिसम्पत्तियां, विशेषत: भूमि और भवन या तो अनुपयोगी हो गये हैं अथवा उनका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसी परिसम्पत्तियां, जिनका शासकीय उपयोग नहीं हो पा रहा है, उनके व्यवसायिक उपयोग या मौद्रीकरण किये जाने से शासन को अतिरिक्त वित्तीय आय प्राप्त हो सकेगी। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु शासन के एक नवीन विभाग लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग का गठन किया गया है। लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के कार्यकारी निकाय के रूप में मध्यप्रदेश सडक़ विकास निगम को नियत किया गया है। उपरोक्त के परिपेक्ष्य में प्रथमत: विभिन्न विभागों के अंतर्गत ऐसी अनुपयोगी परिसम्पत्तियों का चिन्हांकन किया जाना है, जिनके प्रबंधन पर पुनर्विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है तथा ऐसी परिसम्पत्तियों का पंजीयन लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के पोर्टल लिंक मध्यप्रदेश लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर किया जाना है। पोर्टल पर लॉगिन करने हेतु लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा संबंधित विभाग को अधिकृत ईमेल आईडी पर पृथक से उपलब्ध कराया जायेगा। राज्य शासन द्वारा प्रदेश के समस्त कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये है कि जिले के अंतर्गत विभिन्न विभागों की ऐसी अनुपयोगी शासकीय सम्पत्ति के चिन्हांकन एवं पोर्टल पर इंद्राज हेतु जिले के लिये एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग एवं प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश सडक़ विकास निगम को अवगत करायें। तदोपरांत समस्त जिला अधिकारियों के साथ नियमित बैठक आयोजित कर लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के पोर्टल पर सम्पत्तियों के पूर्ण विवरण उदाहरणार्थ खसरा की नकल, अतिक्रमण की वैधानिक स्थिति विभाग के अधिपत्य का इंद्राज करें। शासन के उपरोक्त निर्देशों के परिपालन में कलेक्टर मनीष सिंह ने एक कमेटी का गठन भी कर दिया है, जिसमें निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल, जिला पंचायत सीईओ, अपर कलेक्टर भू-अभिलेख, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी एवं महाप्रबंधक मध्यप्रदेश सडक़ विकास निगम के साथ एसडीओ को शामिल किया गया है। इंदौर जिले में फिजुल पड़ी सरकारी जमीनों, सम्पत्तियों को चिन्हित कर उनकी जानकारी शासन द्वारा बनाए गए पोर्टल और वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। इसका मकसद यह है कि इन जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त रखा जाए और बदलते समय के साथ इनका व्यवसायिक इस्तेमाल भी किया जा सके। पूर्व में भी शासन ने पीपीपी मॉडल पर इस तरह के कुछ प्रोजेक्ट तैयार करवाए थे, जो हालांकि बहुत अधिक सफल नहीं हुए। इंदौर में ही एमटीएच कम्पाउंड स्थित स्वास्थ्य विभाग के जर्जर अस्पताल और क्वार्टरों को तोडक़र उनकी जगह नया अस्पताल निजी ठेकेदार से बनवाया और बदले में उसे व्यवसायिक मार्केट बनाने की अनुमति भी दी।
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