भोपाल। मप्र में परिवार नियोजन कार्यक्रम को सख्ती से लागू कराने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत सरकारी नौकरियों में कार्यरत लोगों के पारिवार की स्थिति की जानकारी एकत्र की जा रही है। योजना के तहत सरकारी नौकरी करने वालों से जानकारी मांगी जा रही है कि उनकी कितनी संतानें हैं। खास तौर पर जनवरी 2001 से कार्यरत लोगों पर विशेष निगाह रखी जा रही है।
हालांकि अभी इसकी पड़ताल की शुरूआत शिक्षा विभाग ने शुरू भी कर दी है। इसके तहत इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी ब्लाक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिख कर जानकारी तलब की है। विभाग की इस जानाकरी से शिक्षा विभाग के शिक्षकों में खलबली मच गई है। जानकारों का मनना है कि सरकार दो बच्चो को बढ़वा देने के लिए जंहा इस पर बड़ा निर्णय ले सकती है। वहीं दो से ज्यादा संतान वाले शिक्षकों को इस मापदंड के तहत सरकार के बनाए कानून का दंश भी झेलना पड़ सकता है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी पत्र में बताया गया कि विधानसभा से जो जानकारी मांगी गई है, जिसके अंतर्गत ऐसे शिक्षकों के नाम और उनका बायोडाटा तथा दो से ज्यादा संतान की जानकारी देनी है जो शिक्षक 26 जनवरी 2001 या उसके बाद से नौकरी कर रहे हैं। पत्र का आशय है कि ऐसे शिक्षकों की जानकारी एकत्र करना है जो 2001 के बाद दो से ज्यादा संतान होने के बाद नौकरी कर रहे है। यह भी निर्देश जारी किए हैं कि सभी शिक्षकों की जानकारी उनकी सेवा पुस्तिका और समग्र परिवार आईडी का परीक्षण करने के उपरांत ही तैयार की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की गलती नहीं हो सके। विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 559 के जरिए दो से अधिक बच्चों वाले शिक्षकों और शासकीय सेवकों को शासकीय सेवा के लिए अपात्र घोषित करने की मांग की गई है।
दो से ज्यादा संतान वाले चिंतित
बताया जा रहा है कि दो संतान वाले परिवार को आदर्श परिवार मानते हुए इसे बढ़ावा दिया जा रहा। लेकिन दूसरे प्रसव में कई बार जुड़वा बच्चों का जन्म हो जाता है। ऐसे में दूसरे प्रसव से होने वाली जुड़वा संतान को इस नियम से मुक्त रखा गया है। लेकिन दो संतान होने के बाद अगर शिक्षक दंपती तीसरे प्रसव से तीसरा बच्चे पैदा करता है तो वह चाही गई जानकारी में शामिल हो जाएगा। शिक्षा विभाग में चाही गई जानकारी की भनक लगते ही ऐसे शिक्षक चिंतित हो गए है, जिनकी दो से ज्यादा संतानें हैं।
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