जो नहीं लगाना चाहते उनके पीछे पड़ी… जो लगवाना चाहते हैं वो घर में पड़े
इन्दौर। कोरोना (Corona) से निपटने के लिए ताली-थाली बजवाने वाली सरकार अब वैक्सीन (Vaccine) आने के बाद भी लोगों को खतरे से बचाने के लिए गंभीर नहीं है… वैक्सीन (Vaccine) बनाने वाली कंपनी सीरम ने वैक्सीन के दस करोड़ डोज तैयार करके रखे हैं, लेकिन सरकार लाखों आबादी वाले शहरों में भी हजार-दो हजार डोज भिजवाकर उसे भी केवल फ्रंटलाइन वर्करों (Frontline Workers) को उपलब्ध करा रही है… इनमें भी वैक्सीन की विश्वसनीयता से डरे-सहमे लोग जहां कतरा रहे हैं और अस्पतालों में जहां कोरोना के डोज सड़े जा रहे हैं, वहीं वैक्सीन लगवाने के लिए उत्सुक कई लोग घरों में पड़े नजर आ रहे हैं…
कोरोना (Corona) से निपटने में सरकार शुरू से अक्षम रही… दिसम्बर में देश में कोरोना की आहट के बावजूद ट्रंप की खातिरदारी और मध्यप्रदेश सरकार की बेदखली के चक्कर में देशभर में मार्च माह में लॉकडाउन लगा पाई…लॉकडाउन भी अचानक इस तरह लगाया गया कि जो जहां था वहां फंस गया…लाखों लोग सिसकते रहे… सडक़ों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चले और कई यातनाएं सही… ऐसे में जो लोग कोरोना के शिकार हुए उनसे भी आतंकियों की तरह व्यवहार किया गया… परिवारों को कोरोना के नाम पर कैद दिया गया… कम आंकड़ों में भी जहां लोगों ने लंबी कैद और सैकड़ों यातनाएं सही, वहीं डगमगाती अर्थव्यवस्था को देखकर बढ़ते आंकड़ों में भी देश खोलकर हालात जनता के हवाले कर दिए गए और लोग बेसब्री से वैक्सीन का इंतजार करते रहे… अब जब देश वैक्सीन बना चुका और 10 करोड़ डोज तैयार हैं तब सरकार वैक्सीन के लिए क्रम निर्धारित कर लोगों को खतरे में डाल रही है… कोरोना का आंकड़ा एक बार फिर बढ़ रहा है, लेकिन अब भी आम लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने में सरकार नियमों की दीवार बनाए खड़ी है…
देश में अब तक केवल 88 लाख लोगों को लग सकी वैक्सीन
जहां सीरम इंस्टीट्यूट 10 करोड़ वैक्सीन (Vaccine) तैयार कर चुकी है वहीं भारत के सवा सौ करोड़ लोगों में से मात्र 88 लाख लोगों को वैक्सीन लग सकी है। इनमें 2 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल है। वैक्सीन लगवाने वालों में उत्तरप्रदेश सबसे ज्यादा आगे रहा जिसके 9 लाख 34 हजार लोगो ने वाक्सीन लगवाई वहीं म.प्र. के केवल 5 लाख 75 हजार लोग वैक्सीन लगवा पाए।
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