भोपाल। आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार को बाजार से कर्ज लेने की मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार ने खुले बाजार से 2,373 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दे दी है। नगरीय निकाय के चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने यह अनुमति देकर शिवराज सरकार को बड़ी राहत दी है। केंद्र की शर्त के मुताबिक राज्य सरकार को कर्ज की राशि आधा हिस्सा नागरिक सुविधाओं में खर्च करना होगी। केंद्र ने कहा है कि नगरीय निकायों से जुड़े सुधारों के साथ वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम को लागू करने में भी इस राशि का उपयोग किया जाए। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की मंशा के अनुरूप मध्य प्रदेश ने अपने स्थानीय निकायों के कामकाज में काफी सुधार किया है। इस दिशा में आगे प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्रालय ने मप्र को खुले बाजार से अतिरिक्त पूंजी जुटाने की अनुमति दे दी है। मध्य प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश को भी यह अनुमति दी गई है। दोनों राज्यों को यह सुविधा स्वास्थ्य और साफ-सफाई जन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए दी गई है। शहरी स्थानीय निकायों में सुधार का उद्देश्य राज्य में यूएलबी की वित्तीय स्थिति बेहतर करना है ताकि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो सके। जिन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सुधार किए गए हैं।
9 माह में 16,500 करोड़ का कर्ज
मध्य प्रदेश पर बाजार का कुल 2 लाख 11 हजार 89 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। साल 2018 के अंत में यह कर्ज 1 लाख 80 हजार करोड़ था। शिवराज सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए 2000 करोड़ रुपए के कर्ज बाजार से लिया है। इसके बाद मौजूदा वित्त वर्ष में शिवराज सरकार 9 माह में 16,500 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है।
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