भोपाल। प्रदेश सरकार (State Government) द्वारा दिसंबर 2020 में भ्रष्ट अधिकारी एवं कर्मचारियों को अप्रत्यक्ष तौर पर संरक्षण (Protection) प्रदान करने वाला आदेश वापस ले लिया है। साामन्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) ने भ्रष्टाचार अधिनियम में नई धारा जोड़कर प्रावधान किया था कि लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) को भ्रष्ट अफसर या कर्मचारी के खिलाफ जांच के लिए संबंधित विभाग से इजाजत नहीं लेनी होगी। इस आदेश से जांच एजेसिंयों की ताकत कमजोर कर दी थी। इसको लेकर लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता (Lokayukta Justice NK Gupta) ने सरकार से पूछा था कि एक्ट में बदलाव से पहले अनुमति क्यों नहीं ली गई? इसके लिए जीएडी के अफसरों की लोकायुक्त में लगातार पेशी हुर्इं। आखिरकार सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा है। लोकायुक्त ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार और प्रमुख सचिव (कार्मिक) दीप्ति गौड़ मुखर्जी (Deepti Gaur Mukherjee) को नोटिस दिया था। अफसरों को 29 जुलाई को जवाब पेश करना था, लेकिन इसके एक दिन पहले ही राज्य शासन ने एक्ट में जोड़ी गई धारा (17्र) हटा दी है। इस धारा के तहत बने उस नियम को सरकार हटा रही है, जिसमें लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू को जांच के लिए विभाग की अनुमति लेनी पड़ती थी। राज्य सरकार ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।
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