भोपाल। मप्र में सरकारी कर्मचारियों की कमी और जनरल प्रोविडेंट फंड यानी सामान्य भविष्य निधि की घटती कटौती का असर सरकार के बचत पर भी पड़ रहा है। साल-दर-साल जीपीएफ की जमा पूंजी कम हो रही है। इस कारण सरकार को हर माह महंगी ब्याज दर पर बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है। लगातार लिए जा रहे कर्ज के कारण राज्य सरकार पर 3 लाख 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया है। हालांकि प्रदेश सरकार का कुल वार्षिक बजट भी इतना नहीं है। इसका मतलब यह निकलता है कि अब राज्य के कुल बजट से ज्यादा सरकार ने कर्जा ले रखा है। भारी-भरकम कर्ज के चलते सूबे की सरकार को हर साल बड़ी रकम ब्याज के तौर पर चुकाना पड़ रहा है।
दरअसल, कर्मचारियों की जीपीएफ में जमा होने वाली राशि लगातार घटती जा रही है। यह राशि प्रदेश के 4 लाख 52 हजार अफसरों और कर्मचारियों में से प्रत्येक के वेतन से हर महीने 6 प्रतिशत काटी जाती है। पहले यह 12 प्रतिशत तक कटवाना आवश्यक थी। जीपीएफ में जमा राशि पर ब्याज दर पिछले बीस साल में लगातार घटी है। 2003 में ब्याज दर 12 प्रतिशत थी, जो 2022-23 में घटकर 7.11 प्रतिशत रह गई है। सीधे-सीधे ब्याज की दरें 4.89 प्रतिशत घटीं। इससे लगातार सामान्य भविष्य निधि में जमा राशि घटती जा रही है। नतीजा, सरकार को बाजार से ज्यादा कर्ज लेना पड़ रहा है, वह भी महंगी ब्याज दरों पर 7.85 प्रतिशत पर लेना पड़ रहा है। साल के अंत तक कर्मचारियों के वेतन, निर्माण कार्यों और जरूरी खर्चों के लिए 50 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त कर्ज लिया जाना अनुमानित है। बावजूद इसके कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और एरियर की राशि देने के लिए सरकार राशि नहीं जुटा पा रही है। राज्य सरकार का बचत का बजट गड़बड़ा गया है।
साल-दर साल कम हो रही जीपीएस राशि
प्रदेश में 2003 में 7 लाख से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी थे और जीपीएफ पर ब्याज राशि 12 प्रतिशत थी, जो बैंकों में जमा बचत से भी ज्यादा थी। इस वजह से कर्मचारी बैंकों में जमा करने के बजाए बचत की ज्यादा राशि (न्यूनतम 12फीसदी और अधिकतम 50 फीसदी तक) सामान्य भविष्य निधि में कटवाते थे। इससे सरकार के पास कर्मचारियों की जमा पूंजी 35 हजार करोड़ रुपए तक रहती थी, लेकिन ब्याज दरें घटड्डने से जमा पूंजी लगातार घटती गई और सरकार को बाजार से ज्यादा ब्याज दरों पर कर्ज लेना पड़ा। अब चूंकि ब्याज दरें घटती जा रही हैं, जिससे कर्मचारी मासिक वेतन ज्यादा ले रहे हैं और जीपीएफ में 6 फीसदी ही कटवा रहे हैं। इस कारण वर्ष 2021-22 में जहां कर्मचारियों के वेतन से जीपीएफ में 20318 करोड़ रुपए जमा हुए थे, यह राशि घटकर 2022-23 में 19915 करोड़ रह गई। सीधे-सीधे 403 करोड़ रुपए कम जमा हुए। पिछले दस सालों में देखा जाए तो इसी तरह कर्मचारी भविष्य निधि में जमा होने वाली राशि में कमी होती जा रही है, वहीं 2019-20 में कर्मचारी भविष्य निधि में 20318 करोड़ रुपए जमा हुए थे, 2020-2021 में घटकर यह 18217 करोड़ रुपए रह गई। यानी एक साल में ही जमा राशि में 2101 करोड़ रुपए कम जमा हुए।
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