नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने छठी पखवाड़ा समीक्षा में घरेलू कच्चे तेल और डीजल पर अप्रत्याशित लाभ कर (विंडफॉल टैक्स) में कटौती कर दी है. इसके साथ ही जेट ईंधन के निर्यात पर कर खत्म कर दिया गया है. सरकार ने घरेलू उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 10,500 रुपये प्रति टन से घटाकर 8,000 रूपये प्रति टन कर दिया है. वहीं डीजल के निर्यात पर इसे 10 रुपये प्रति लीटर से घटाकर पांच रुपये प्रति लीटर कर दिया.
बता दें कि इससे पहले सरकार ने क्रूड ऑयल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स 13300 रुपये से घटाकर 10500 रुपये प्रति टन कर दिया था. इसके साथ ही डीजल पर लागू एक्सपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 5 रुपये प्रति लीटर कर दिया था. जो पहले सात रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 13.50 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था.
एटीएफ पर नहीं लगेगा कर
सरकार ने यह कदम अंतरराष्ट्रीय दरों में गिरावट के बाद उठाया है. वहीं, एटीएफ (एविएशन टर्बाइन फ्यूल) के निर्यात पर 5 रुपये प्रति लीटर की दर वाले इस कर को समाप्त कर दिया गया है. सरकार ने एक जुलाई को घरेलू स्तर पर निकाले गए कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाने का फैसला किया था. जहां पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन के निर्यात पर शुल्क लगाए गए, वहीं स्थानीय स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क (SAED) लगाया गया.
क्यों लगाया गया था विंडफॉल टैक्स
विंडफॉल टैक्स ऐसी कंपनियों या इंडस्ट्री पर लगाया जाता है, जिन्हें किसी खास तरह की परिस्थितियों में तत्काल काफी लाभ होता है. भारत की तेल कंपनियां इसका अच्छा उदाहरण हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया. इससे तेल कंपनियों को काफी फायदा मिला था. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल कंपनियां भारी मुनाफा काट रही थीं, इसलिए उन पर विंडफॉल टैक्स लगाया गया है. इससे सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंच रही है. जिससे सरकार को अच्छी कमाई हो रही है.
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