भोपाल। प्रदेश में बिजली महंगी करने की तैयारी है। इस संबंध में मप्र विद्युत नियामक आयोग अगले महीने बैठक करने जा रहा है। इस बीच बिजली कंपनियों की कार्यप्रणाली भी कठघरे में है। क्योंकि कंपनियों ने घाटा बताकर बिजली के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है। जबकि बिजली कंपनियों ने पिछले तीन साल में 1773 करोड़ रुपए का भुगतान निजी कंपनियों को बिना बिजली खरीदे किया है। यह जानकारी ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने विधायक जीतू पटवारी के सवाल के जवाब में दी है।
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2019-20 में 494.25 करोड, वर्ष 2020-21 में 908.27 करोड़ और वित्त वर्ष 2021-22 में 371.19 करोड़ रुपए का भुगतान निजी कंपनियों को बिना बिजली खरीदे किया गया है। तोमर ने लिखित जवाब में बताया कि वितरण कंपनियों से प्राप्त देनदारियों का अपलेखन मप्र शासन के आदेशानुसार करने पर तथा कर्मचारियों की पेंशन एवं अन्य सेवाएं लाभ देनदारियों का प्रावधान नवीन एक्चुरियल मूल्यांकन के अनुसार करने के कारण कंपनियों घाटे में हैं। वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2015-16 के काल में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की पुरानी इकाईयां क्रमांक 1 से 5 एवं अमरकंटक ताप विद्युत गृह की 120 मेगावाट की पुरानी इकाईयां क्रमांक 3 एवं 4 संचालित थीं। इन इकाईयों की विद्युत लागत अधिक थी, जिसका भार कंपनी पर आता था। इन इंकाईयों को 2012 से 2015 के दौरान रिटायर्ड किया जा चुका है।
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