इंदौर। IIM इंदौर को केंद्र सरकार (Central government) ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (excellence) शुरू करने के लिए 19.5 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। यह सेंटर न केवल नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, अफसरों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि स्वच्छता से जुड़े स्टार्टअप्स को मेंटोरशिप भी प्रदान करेगा। IIT इंदौर इन स्टार्टअप्स को जरूरी टेक्नोलॉजी सपोर्ट प्रदान करेगा।
IIM इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय (Director Prof. Himanshu Rai) और आवास एवं शहरी मंत्रालय की संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा ने गुरुवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ ही सचिव मनोज जोशी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रो. हिमांशु राय ने ‘अमर उजाला’ से विशेष बातचीत में कहा कि यह 19.5 करोड़ रुपये का अनुदान इस सेंटर को स्थापित करने के लिए दिया गया है। इस पर हमने मार्च 2021 में काम शुरू किया था।
एक महीने पहले ऑफिस मेमो भी जारी हो गया था। गुरुवार को औपचारिक तौर पर मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एमओयू का अनावरण किया है। प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह और नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल के इनपुट्स काम आए हैं। साथ ही आईआईएम इंदौर की प्रो. श्रुति तिवारी, प्रो वैजयंती, प्रो. अमित वत्स और प्रो. गणेश ने भी अहम भूमिका निभाई है।
प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि इस सेंटर के जरिये आईआईएम इंदौर तीन काम करने जा रहा है। पहला, बहुत-से कोर्सेस बनाएगा। शहरी नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, अफसरों और कर्मचारियों के लिए शॉर्ट टर्म, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा प्रोग्राम शुरू होंगे। स्वच्छ भारत मिशन 1 का उद्देश्य खुले में शौच से मुक्ति का था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन 2 के तहत गार्बेज फ्री इंडिया बनाने का विजन रखा है। इसके तहत वॉश यानी वॉटर सेनिटेशन और हाइजिन को बढ़ाने पर कोर्सेस होंगे।
इसमें दो अमेरिकी और दो ब्रिटिश यूनिवर्सिटियों के साथ ही एक यूरोपीय यूनिवर्सिटी के साथ भी हमने एमओयू किया है। एक अक्टूबर को स्वच्छता रैंकिंग जारी होगी। हम इसमें 50 से 75 बेस्ट परफॉर्म करने वाले नगरीय निकायों के लिए दस दिन का कार्यक्रम करेंगे। पांच दिन का कार्यक्रम आईआईएम इंदौर में होगा, जिसमें हम इंदौर नगर निगम की बेस्ट प्रैक्टिसेस से भी प्रतिनिधियों का परिचय कराएंगे। पांच दिन का कोर्स हमारे पार्टनर संस्थाओं के यहां होगा।
प्रो. हिमांशु राय ने यह भी कहा कि यह सेंटर इस तरह की सामग्री भी तैयार करेंगे कि लोगों की सोच को कैसे बदला जाए। उन्हें स्वच्छता के लिए कैसे प्रेरित किया जाए। यह मानक भी हम निर्धारित करेंगे, जिससे किसी दुकान, शोरूम, फैक्ट्री या संस्था के स्वच्छ होने का दावा किया जा सके। इसके लिए गोल्ड, प्लेटिनम या अन्य स्टैंडर्ड्स भी तय कर सकते हैं। छोटे-छोटे मॉड्यूल भी होंगे। मैनेजमेंट के थ्योरी और कॉन्सेप्ट्स भी होंगे।
प्रो. हिमांशु राय ने बताया कि इस सेंटर का तीसरा और महत्वपूर्ण हिस्सा है स्टार्टअप्स को मेंटोरशिप। स्वच्छता या वॉश प्रोजेक्ट पर यदि कोई स्टार्टअप शुरू करता है तो हम उसकी मेंटोरशिप करेंगे। यदि उस स्टार्टअप्स में टेक्नोलॉजी से जुड़ा पहलू है तो इसके लिए हमने IIT इंदौर से एमओयू किया है। हम मिलकर उस स्टार्टअप की मेंटोरशिप करेंगे। जहां तक मैनेजमेंट और अन्य पहलुओं का सवाल है, उसमें IIM इंदौर तो मदद करेगा ही। प्रो. हिमांशु राय का कहना है कि इस सेंटर के जरिये हम कंसल्टेंसी भी देंगे। टाउनशिप या फैक्ट्री को स्वच्छता पर कंसल्टेंसी चाहिए तो हम उन्हें यह प्रदान करेंगे। इसके लिए कोई भी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था सेंटर से संपर्क कर सकेगी।
हाल ही में हमने बेंगलुरू, गुड़गांव के साथ-साथ अन्य महानगरों में भी तेज बारिश के बाद बने हालात देखे हैं। इस पर IIM क्या करेगा, इस सवाल पर प्रो. हिमांशु राय ने कहा कि यह वॉश प्रोजेक्ट का हिस्सा है। सैनिटेशन और हाइजिन का काम इस प्रोजेक्ट के तहत यह सेंटर करेगा। सीवेज लाइन का काम भी उससे जुड़ा होगा। उसका मैनेजमेंट और अचानक तेज बारिश की वजह से आने वाली परेशानियों को दूर करने की कोशिश भी करते रहेंगे।
सेंटर के लिए वनटाइम ग्रांट के तौर पर सरकार ने 19.95 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। दस करोड़ रुपये इसी साल मिलेंगे। पांच करोड़ अगले साल और फिर पांच करोड़ उसके अगले साल। इससे हम सेंटर कोऑर्डिनेटर रखेंगे। एकेडमिक एसोसिएट रखेंगे। यह पूरा सेंटर डायरेक्टर के अधीन ही काम करेगा। तीन साल के बाद ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिये सेल्फ फाइनेंसिंग की स्थिति में यह सेंटर आ जाएगा। यहां यह कहना जरूरी है कि स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर विनय झा, आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा और मौजूदा सचिव मनोज जोशी, संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा और प्रबल भारद्वाज की भूमिका सेंटर बनाने में अहम रही है।
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