नई दिल्ली: वो दिन दूर नहीं जब दुनियाभर के लोगों के एयर ट्रैवल का कनेक्शन इंडिया से होगा. नहीं-नहीं हम जेवर एयरपोर्ट को ट्रांजिट हब बनाए जाने की बात नहीं कर रहे, उससे तो देश में इंटरनेशनल ट्रैवल बढ़ेगा ही. यहां बात हो रही है भारत सरकार के एक ऐसे काम की जिससे एअर इंडिया और इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइंस को जबरदस्त फायदा होने वाला है. वहीं लॉन्ग रन में देश के आम लोगों को भी इसका लाभ होगा.
दरअसल भारत सरकार और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने दोनों देशों की एयरलाइंस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर एक टाई-अप किया है. मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आते ही ‘एयर सर्विस एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर कर लिए थे. ये समझौता दोनों देशों की एयरलाइंस को दुबई और 15 भारतीय शहरों के बीच हर हफ्ते 66,000 फ्लाइट सीट पर एयर ट्रैवल ऑपरेट करने की छूट देता है.अब इसी मामले में एक बड़ा अपडेट आया है.
अभी दुबई की एमिरेट्स और फ्लाईदुबई के साथ-साथ एअर इंडिया और इंडिगो जैसी भारतीय एयरलाइंस इन 66,000 सीटों के कोटे को भर चुकी हैं. अब दोनों देशों के पास फ्लाइट्स बढ़ाने का ऑप्शन नहीं बचा है. ऐसे में यूएई ने भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय से दुबई के लिए 50,000 सीट और एक्स्ट्रा बढ़ाने की अपील की है.
यहीं पर भारत सरकार ने घरेलू एयरलाइंस के लिए यूएई के साथ मोलभाव किया है. मोदी सरकार दुबई को हर एक फ्लाइट सीट के बदले अपनी एयरलाइंस के लिए 4 सीट चाहती है.
भारत सरकार के इस मोलभाव से इंटरनेशनल एयर रूट्स पर भारतीय एयरलाइंस को बेहतर स्थिति मिलेगी, जहां अभी दुबई की कंपनियों का दबदबा है. इसका सबसे ज्यादा फायदा एअर इंडिया और इंडिगो को होगा. अभी इंडियन एयरलाइंस दुबई के लिए पॉइंट-2-पॉइंट सर्विस देती हैं. जबकि यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई देशों के लिए दुबई की एयरलाइंस सर्विस देती हैं.
ईटी की खबर के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में भारत से यूरोप और उत्तरी अमेरिका की यात्रा करने वाले 69 प्रतिशत यात्रियों ने दुबई, आबू धाबी और दोहा जैसे एयरपोर्ट से विदेशी फ्लाइट्स में सफर किया था. अगर सरकार इस समझौते में सफल हो जाती है, तो आम आदमी को भी इसका फायदा होगा. इससे यूरोप और अमेरिका की फ्लाइट्स अपेक्षाकृत सस्ती मिलेगी.
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