नई दिल्ली । आजकल जंक फूड (junk food) हर किसी को काफी पसंद आता है लेकिन सरकार इससे जुड़े विज्ञापनों (advertisements) पर नकेस कसने की तैयारी कर रही है. बच्चों के बीच बढ़ते मोटापे को लेकर फिक्रमंद उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय (ministry of consumer affairs) सेहत के लिए नुकसानदेह माने जाने वाले जंक फूड से जुड़े विज्ञापनों पर अब लगाम लगाने पर विचार कर रहा है.
WCD की सिफारिशों पर अमल
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को पीटीआई से कहा कि हाल ही में एक बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) ने इस बारे में एक सुझाव दिया है. इस अधिकारी ने कहा, ‘हमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से बच्चों को रिझाने वाले जंक फूड संबंधी विज्ञापनों के बारे में कई सुझाव मिले हैं. हम इन सुझावों पर गौर कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि बच्चों से संबंधित कार्यक्रमों के प्रसारण के दौरान जंक फूड को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने, खानपान की सही आदतों को बढ़ावा देने और जंक फूड में पौष्टिक तत्वों की मौजूदगी के बारे में जानकारी देने जैसे सुझाव रखे गए हैं.
नई गाइडलाइन होगी जारी
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे से मिले आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा है कि देश में बच्चों के बीच बढ़ता मोटापा इसका एक सबूत है. अधिकारी ने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) भी खाद्य उत्पादों के पैकेट पर पौष्टिक तत्वों का ब्योरा देने से संबंधित नियमों के साथ सामने आया है.
उन्होंने कहा कि जंक फूड से संबंधित विज्ञापनों के असर को देखते हुए बच्चों पर केंद्रित विज्ञापनों के प्रावधान भी भ्रामक विज्ञापनों पर रोक संबंधी दिशानिर्देश में शामिल किया जा सकता है. इस गाइडलाइन के मार्च के आखिर तक सामने आ जाने की उम्मीद है.
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