भोपाल। जब भी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होता है सरकार अपनी पक्ष और विचारधारा के लोगों की नियुक्ति शुरू कर देती है। खासकर वकीलों और विधिक सलाहकारों की नियुक्ति पहली प्राथमिकता होती है। लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार बने करीब तीन साल हो गए हैं, लेकिन सरकार की ओर से वकालत अभी भी कांग्रेस कार्यकाल में नियुक्त वकील कर रहे हैं। यही नहीं अपेक्स बैंक और मंडी बोर्ड जैसी संस्थाओं में विधिक सलाहकार नियुक्त नहीं हो पाए हैं। यही स्थिति प्रदेश में अधिकांश जिलों की है। गौरतलब है कि जब 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो एक साल के इंतजार के बाद मप्र शासन के विधि और विधायी कार्य विभाग ने राजधानी में पदस्थ सरकारी वकीलों की नई नियुक्ति आदेश जारी कर दिए थे। इस आदेश के बाद भाजपा शासनकाल में नियुक्त किए गए ज्यादातर सरकारी वकीलों को हटाकर उनके स्थान पर नए सरकारी वकीलों की नियुक्ति की गई थी। लेकिन अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बने 3 साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक कांग्रेस सरकार में नियुक्त वकील ही काम कर रहे हैं।
एक साल के लिए नियुक्ति 3 साल हो गए
जानकारी के अनुसार कांग्रेस सरकार में सरकारी वकीलों की नियुक्ति 1 जनवरी 2020 को एक साल के लिए की गई थी। समय सीमा खत्म हो गई। इसके बाद भी सरकार अपने पक्ष के वकीलों और अन्य नेताओं की निगम-मंडलों में नियुक्ति नहीं कर पाई है, जिससे उनमें नाराजगी पनप रही है। अपेक्स बैंक और मंडी बोर्ड जैसी संस्थाओं में विधिक सलाहकार नियुक्त नहीं हो पाए हैं। यही स्थिति प्रदेश में अधिकांश जिलों की है। मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में 2018 के पहले तक अनिल पारे लोक अभियोजक थे, उन्हें कांग्रेस सरकार बनते ही हटा दिया गया था। उनकी जगह नई नियुक्ति शरद जोशी की हुई, जो अभी तक बने हुए हैं। इसी तरह आसिफ खान और शाहिना रईस अतिरिक्त लोक अभियोजक के पद पर काम कर रही हैं। यहां भाजपा समर्थित वकीलों की नियुक्ति नहीं हुई है। अधिकतर नियुक्ति के मामले विधि विभाग से संबंधित हैं। संगठन नेताओं की इस बारे में गृह और विधि मंत्री नरोत्तम मिश्रा से चर्चा हुई है। दूसरे नंबर पर सहकारिता विभाग में नियुक्तियां होना है। मंडी बोर्ड में तो विधिक सलाहकार की नियुक्ति को लेकर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने भी सरकार को पत्र लिखा है। सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया का कहना है कि कुछ पैनल आए थे जिनमें नियुक्तियां की गई है। अपेक्स बैंक ऑटोनोमस बॉडी है, वहां भी प्रस्ताव आने पर नियुक्ति की जाएगी।
केवल प्रियनाथ पाठक को हटाया गया
प्रदेश में पिछले तीन साल से कांग्रेस विचारधारा के वकील सरकारी कामकाज देखरेख रहे हैं। कमलनाथ सरकार में भोपाल में भाजपा द्वारा 2018 के पहले नियुक्त पीएन राजपूत को 2019 में हटा दिया गया था। आरोप था कि विधायक आकाश विजयवर्गीय के बल्लाकांड में जमानत अर्जी पर आपत्ति नहीं ली थी। इसके बाद प्रियनाथ पाठक को लोक अभियोजक बनाया। हालांकि भाजपा सरकार बनते ही उन्हें हटाकर पीएन राजपूत की नियुक्ति कर दी गई। यहां अभी भी कांग्रेस कार्यकाल में नियुक्त अतिरिक्त लोक अभियोजक निसार अहमद मंसूरी, मोहम्मद खालिद कुरैशी, साबिर अहमद सिद्धकी, सैयद रियाज हसन, अंबिका सोनी, वासुदेव गोस्वामी आदि कार्यरत हैं। कांग्रेस सरकार के 15 महीने में निगम, मंडल समेत जिलों में दो बार विधिक नियुक्तियां की गई थीं। भोपाल नगर निगम में पिछले दस सालों से विधिक सलाहकार संजय गुप्ता हैं, वे कांग्रेस महापौर प्रत्याशी विभा पटेल के एजेंट थे। बीडीए, हाउसिंग बोर्ड, इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में विधिक सलाहकार समेत, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। भाजपा के संगठन महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि जल्दी नियुक्तियां शुरू की जाएंगी।
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