नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार (Central government ) बासमती चावल (Basmati Rice) के न्यूनतम निर्यात मूल्य की समीक्षा (Review of Minimum Export Price) पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस समय ये 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन (US$1,200 per ton) है। दरअसल अधिक मूल्य होने की वजह से देश का निर्यात प्रभावित हुआ है।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य की समीक्षा पर गंभीरता से विचार कर रही है, जो इस समय 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन है। मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने चावल की घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
मंत्रालय ने बताया कि केंद्र सरकार बासमती चावल के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाणपत्र (आरसीएसी) जारी करने के लिए फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य की समीक्षा कर रही है। ये कदम चावल निर्यातक संघों से मिले आवेदनों के आधार पर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि उच्च एफओबी मूल्य भारत से बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा कि खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने बासमती चावल निर्यातकों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में हुई चर्चा के आधार पर केंद्र सरकार बासमती चावल के निर्यात के लिए एफओबी मूल्य की समीक्षा पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि जब तक सरकार उचित निर्णय नहीं ले लेती, तब तक मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य अधिक होने के कारण देश का निर्यात प्रभावित हुआ है। इस बीच चावल निर्यातक संघ मौजूदा दर को घटाकर लगभग 850 अमेरिकी डॉलर प्रति टन करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल सरकार ने अगस्त में बासमती चावल 1,200 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर निर्यात नहीं करने का फैसला किया था। ऐसा बासमती चावल की आड़ में अवैध रूप से गैर-बासमती चावल के ”अवैध” निर्यात को रोकने के लिए किया गया था।
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